रडार अनुबंध | 19 Mar 2025

चर्चा में क्यों? 

रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना के लिये परिवहन योग्य रडार ‘अश्विनी’ की खरीद हेतु उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ 2,906 करोड़ रुपए के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये।

मुख्य बिंदु 

  • अश्विनी रडार के बारे में: 
    • लो-लेवल ट्रांसपोर्टेबल रडार-LLTR’ (अश्विनी) एक सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन किया गया चरणबद्ध ऐरे रडार है।
    • इसका उपयोग उच्च गति वाले लड़ाकू विमानों, मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) और हेलीकॉप्टरों जैसे धीमी गति वाले लक्ष्यों की निगरानी के लिये किया जाता है।
    • यह रडार अत्याधुनिक ठोस अवस्था प्रौद्योगिकी पर आधारित है।
    • इसे इलेक्ट्रॉनिक्स एवं रडार विकास प्रतिष्ठान (LRDE) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा स्वदेशी रूप से डिज़ाइन व विकसित किया गया है।
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) 
    • यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (PSU) है।
    • इसकी स्थापना वर्ष 1954 में राष्ट्र की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु की गई थी।
    • यह संगठन रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेशेवर इलेक्ट्रॉनिक्स के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत है, जिससे भारतीय रक्षा बलों को आधुनिक तकनीकी सहायता प्राप्त होती है।
    • उत्पादन इकाइयाँ
      • BE की अनके उत्पादन इकाइयाँ हैं, जिनमें बंगलूरू (मुख्य कार्यालय), गाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश), पंचकुला (हरियाणा), कोटद्वार (उत्तराखंड), हैदराबाद और मछलीपत्तनम (आंध्र प्रदेश), नवी मुंबई तथा पुणे (महाराष्ट्र), एवं चेन्नई (तमिलनाडु) शामिल हैं।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) 

  • परिचय:
    • DRDO रक्षा मंत्रालय की अनुसंधान एवं विकास शाखा है जिसका उद्देश्य भारत को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में सशक्त बनाना है।
    • आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास तथा अग्नि और पृथ्वी मिसाइल शृंखला, हल्के लड़ाकू विमान तेजस, मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, पिनाका, वायु रक्षा प्रणाली आकाश, रडारों की एक विस्तृत शृंखला और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली आदि जैसी सामरिक प्रणालियों एवं प्लेटफॉर्मों के सफल स्वदेशी विकास एवं उत्पादन से भारत की सैन्य शक्ति में वृद्धि हुई है।
  • गठन:
    • इसका गठन वर्ष 1958 में भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDEs) और तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (DTDP) तथा रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के एकीकरण से हुआ था।
    • DRDO, 50 से अधिक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है जो विभिन्न विषयों जैसे वैमानिकी, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, इंजीनियरिंग प्रणाली आदि को कवर करते हुए रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास में गहनता के साथ संलग्न है।