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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में प्रागैतिहासिक कलाकृतियाँ मिलीं

  • 29 May 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश स्थित घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान में एक खोज की गई, जहाँ बाँधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिज़र्व में अनुसंधान कर रहे सोनीपत स्थित अशोका विश्वविद्यालय के पुरातत्त्वविदों के एक दल को जीवाश्म काष्ठ से बनी प्रागैतिहासिक कलाकृतियाँ मिलीं।

मुख्य बिंदु:

  • यह खोज दर्शाती है कि प्रागैतिहासिक चलवासी लोग पेड़ के लट्ठों को अपने औजारों और वस्तुओं को बनाने के लिये संसाधन के रूप में उपयोग करते थे।
  • जीवाश्म लकड़ी/काष्ठ से बने औजार भारत में आम नहीं हैं तथा ये काफी दुर्लभ हैं, केवल तमिलनाडु, राजस्थान और त्रिपुरा में ही इनके कुछ उदाहरण पाए जाते हैं।
    • हालाँकि घुघवा में खोजी गई कलाकृतियों की आयु अनिश्चित बनी हुई है, लेकिन शोधकर्त्ताओं का अनुमान है कि वे कम-से-कम 10,000 वर्ष पुरानी हैं।
    • इन कलाकृतियों में मध्यम आकार के टुकड़े शामिल थे जिनकी लंबाई लगभग पाँच सेमी. थी।
    • इसके अतिरिक्त, आस-पास के क्षेत्र में लगभग दो सेमी. लंबे कुछ माइक्रोलिथ भी पाए गए।
  • मध्य प्रदेश में कई प्राचीन स्थल हैं जैसे भीमबेटका, जो संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) का विश्व धरोहर स्थल है, हथनोरा (जहाँ नर्मदा बेसिन से जीवाश्म हड्डियों के रूप में एक महिला की खोपड़ी का टुकड़ा पाया गया था) इसके अलावा नीमटोन, पिलिकर और महादेव पिपरिया जैसे स्थल भी हैं।
    • इन क्षेत्रों में मुख्य रूप से क्वार्टज़ाइट, चर्ट और बलुआ पत्थर जैसी सामग्रियों से बने उपकरण पाए गए हैं।
  • हालाँकि, जीवाश्म उद्यान में हाल ही में हुई खोज से पता चलता है कि हमारे पूर्वज भी जीवाश्म लकड़ी का उपयोग करते थे, जो यह दर्शाता है कि वे केवल पत्थर के संसाधनों पर निर्भर नहीं थे।

घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म 

  • यह डिंडोरी से 70 किलोमीटर दूर घुगवा गाँव में स्थित है।
  • यह 75 एकड़ भूमि के क्षेत्र में बसा हुआ है, जहाँ पत्तियों और पेड़ों के रोचक एवं दुर्लभ जीवाश्म की खोज जारी है।
  • स राष्ट्रीय उद्यान में पादप जीवाश्म रूप में हैं जो भारत में लगभग 40 मिलियन से 150 मिलियन वर्ष पूर्व मौजूद थे।

बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व

  • परिचय: वर्ष 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया तथा वर्ष 1993 में पड़ोसी पनपथा अभयारण्य में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के तहत इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
  • भौगोलिक पहलू: यह मध्य प्रदेश की सुदूर उत्तर-पूर्वी सीमा और सतपुड़ा पर्वत शृंखला के उत्तरी किनारे पर स्थित है।
  • जलवायु: उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु क्षेत्र।
  • जैवविविधता: मुख्य भूमि में बाघों की संख्या बहुत अधिक है। यहाँ स्तनधारियों की 22 से अधिक प्रजातियाँ और पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियाँ हैं।
    • उपस्थित प्रजातियाँ: एशियाई सियार, बंगाल फॉक्स, स्लॉथ बियर, स्ट्राइप्प्ड हायना, तेंदुआ और बाघ, जंगली सूअर, नीलगाय, चिंकारा तथा गौर (एकमात्र शाकाहारी)।
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