नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Sambhav-2024

  • 23 Dec 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    दिवस 30

    Q1. भारतीय संदर्भ में पुरापाषाण काल के शिकारी जीवन से लेकर नवपाषाण काल के कृषि समाज तक मानवों द्वारा किये गए परिवर्तनों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उत्तर की शुरुआत परिचय के साथ कीजिये, जो प्रश्न के लिये एक संदर्भ निर्धारित करता है।
    • पुरापाषाण काल के दौरान संक्रमण के साथ हुए प्रमुख परिवर्तनों को लिखिये।
    • मध्यपाषाण काल के दौरान संक्रमण के साथ हुए प्रमुख परिवर्तनों को लिखिये।
    • नवपाषाण काल के दौरान संक्रमण के साथ हुए प्रमुख परिवर्तनों को लिखिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    नवपाषाण क्रांति एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन था। जिसके परिणामस्वरूप कृषि का जन्म हुआ, जो मनुष्यों को शिकारियों के बिखरे हुए समूहों से खेती वाले गाँवों में ले गया। पुरापाषाण काल से नवपाषाण काल तक यह संक्रमण मेसोपोटामिया में शुरू हुआ, विशेष रूप से सुमेर क्षेत्र में और बाद में भारत, यूरोप और अन्य क्षेत्रों में फैल गया।

    निकाय:

    इस दौरान हुए कुछ प्रमुख परिवर्तन यहाँ दिये गए हैं:

    • पुरापाषाण काल की अवस्था: (लगभग 600000-10000 ईसा पूर्व)
      • निम्न पुरापाषाण काल: लोगों ने मछली और पक्षियों का शिकार करने के लिये हाथ की कुल्हाड़ियों, खुरपी और चाकू का उपयोग करना शुरू कर दिया। इसका सबसे महत्त्वपूर्ण स्थल बेलन घाटी, उत्तर प्रदेश में स्थित है।
      • मध्य पुरापाषाण काल: मध्य पुरापाषाण काल में उद्योग बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय विविधताओं के साथ भारत के विभिन्न हिस्सों में पाए जाने वाले पत्थर के टुकड़ों या छोटे टुकड़ों पर आधारित थे। इस काल की कलाकृतियाँ नर्मदा नदी के कई स्थानों पर पाई गईं।
      • उत्तरी पुरापाषाण काल: यह नवीन चकमक उद्योगों (flint industries) और आधुनिक लोगों के उद्भव का प्रतीक है। इस काल में भारत में ब्लेड और ब्यूरिन का उपयोग आंध्रप्रदेश में पाया गया है। भीमबेटका में गुफा और चट्टानी आश्रय स्थलों की खोज की गई है।
    • मध्यपाषाण काल: (लगभग 10000 ईसा पूर्व)
      • पशुपालन: मध्यपाषाण काल में निर्वाह के साधनों में एक बदलाव हुआ है, जिसके कारण पशुपालन को जन्म दिया।
      • लघुपाषाण काल (Microliths): लघुपाषाण काल के विशिष्ट उपकरण माइक्रोलिथ हैं, जिनके स्थल राजस्थान के आसपास पाए गए हैं।
    • नवपाषाण काल: (लगभग 9000 ईसा पूर्व)
      • ग्रामीण बस्तियाँ: भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे प्रारंभिक ग्रामीण बस्तियों का श्रेय बोलन नदी के तट पर स्थित मेहरगढ़ को दिया जाता है।
      • हड्डी के औज़ारों का उपयोग: कश्मीर में नवपाषाणकालीन निवासी न केवल हड्डी के औज़ारों का उपयोग करते थे, बल्कि हड्डी से बने कई औज़ारों और हथियारों का भी उपयोग करते थे। इसके सबसे महत्त्वपूर्ण स्थल बुर्जहोम, गुफक्राल और चिरांद हैं।
      • कृषि: नवपाषाणकालीन निवासी प्रारंभ में कृषक थे। वे लोग व्यवस्थित जीवन जीते थे और रागी, चना और चावल का भी उत्पादन करते थे।
      • मृद्भांड: नवपाषाणकालीन निवासी बर्तन बनाने के लिये पहियों का उपयोग करते थे। नवपाषाणकालीन मृद्भांडों में काले जले हुए मृद्भांड, भूरे मृद्भांड शामिल हैं।
    • सीमाएँ: पाषाण काल के निवासी सीमाओं से प्रभावित थे, उन्हें लगभग पूर्ण रूप से पत्थर निर्मित उपकरणों पर निर्भर रहना पड़ता था और उन्हें पहाड़ी क्षेत्रों से दूर बस्तियाँ नहीं मिल पाती थीं।

    निष्कर्ष:

    पुरापाषाण काल से नवपाषाण काल तक का संक्रमण एक परिवर्तनकारी काल था, जिसने सभ्यताओं के विकास की नींव रखी। कृषि को अपनाने और बसे हुए समुदायों में बदलाव का मानव समाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ा, जिसने आने वाली सहस्राब्दियों के लिये मानव इतिहास के पाठ्यक्रम को आकार दिया।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow