उत्तर प्रदेश
एक परिवार, एक पहचान योजना
- 21 Jun 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में प्रत्येक परिवार को 'परिवार पहचान-पत्र' जारी करने की प्रक्रिया की समीक्षा की और इसके त्वरित क्रियान्वयन के निर्देश दिये।
- उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रत्येक परिवार को सरकारी लाभ तथा कम-से-कम एक सदस्य को रोज़गार के अवसर सुनिश्चित करने के लिये परिवार पहचान-पत्र जारी किये जा रहे हैं।
मुख्य बिंदु:
- "एक परिवार, एक पहचान" योजना के तहत, प्रत्येक परिवार को एक विशिष्ट पहचान-पत्र प्राप्त होता है, जिससे राज्य में परिवार इकाइयों का एक व्यापक लाइव डेटाबेस तैयार होता है
- यह डेटाबेस लाभार्थी-उन्मुख योजनाओं के प्रबंधन, समय पर लक्ष्य निर्धारण, पारदर्शी संचालन में सुधार करेगा और पहुँच को सरल बनाकर पात्र लोगों तक योजनाओं का 100% वितरण सुनिश्चित करेगा।
- उत्तर प्रदेश में 3.60 करोड़ परिवारों के लगभग 15.07 करोड़ लोग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 से लाभान्वित हो रहे हैं, जो अपने राशन कार्ड नंबर को अपने परिवार पहचान-पत्र के रूप में उपयोग कर रहे हैं
- राशन कार्ड विहीन 1 लाख से अधिक परिवारों को परिवार पहचान-पत्र जारी किये गए हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013
- अधिसूचित: 10 सितंबर, 2013
- उद्देश्य
- इसका उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लोगों को वहनीय मूल्यों पर अच्छी गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराते हुए उन्हें खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।
- कवरेज
- लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत रियायती दर पर खाद्यान्न प्राप्त करने के लिये ग्रामीण आबादी का 75 प्रतिशत और शहरी आबादी का 50 प्रतिशत।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) समग्र तौर पर देश की कुल आबादी के 67 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है।
- पात्रता:
- राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत आने वाले प्राथमिकता वाले घर।
- अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर किये गए घर।
- प्रावधान:
- प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें चावल 3 रुपए किलो, गेंहूँ 2 रुपए किलो और मोटा अनाज 1 रुपए किलो।
- हालाँकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत मौजूदा प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करना जारी रहेगा।
- गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्था के दौरान तथा बच्चे के जन्म के 6 माह बाद भोजन के अलावा कम-से-कम 6000 रुपए का मातृत्व लाभ प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
- 14 वर्ष तक के बच्चों के लिये भोजन।
- खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति नहीं होने की स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता।
- ज़िला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना।