हरियाणा सरकार को NGT का नोटिस | 21 Mar 2025

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने राजस्थान और हरियाणा सरकारों को अपने 9 दिसंबर 2022 के फैसले का पालन करने के लिये नोटिस जारी किया है। 

  • न्यायाधिकरण ने दोनों राज्यों को गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूह (हरियाणा) और अलवर (राजस्थान) में संरक्षित अरावली भूमि से अवैध निर्माण को हटाने के लिये एक निगरानी समिति गठित करने और समय-समय पर समीक्षा करने का निर्देश दिया।

मुख्य बिंदु

  • 2022 के निर्णय का अनुपालन:
    • इन ज़मीनों को 'गैर मुमकिन पहाड़' (अनुपयुक्त पहाड़ी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जहाँ निर्माण प्रतिबंधित है।
    • स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, राज्यों ने कोई अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की न ही आवश्यक कार्रवाई की।
  • मामले की पृष्ठभूमि:
    • कार्यकर्त्ताओं ने मूल रूप से अरावली भूमि पर अतिक्रमण को उजागर करते हुए याचिका दायर की थी।
    • यह मामला एक दशक से अधिक समय से NGT की जाँच के अधीन है, जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) की 7 मई 1992 की अधिसूचना के उल्लंघन पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो निर्दिष्ट क्षेत्रों में निर्माण पर प्रतिबंध लगाता है।
    • न्यायाधिकरण ने दिसंबर 2022 का फैसला जारी करने से पहले 10 वर्षों से अधिक समय तक इस मामले की निगरानी की थी। 
  • NGT का 2022 का निर्णय और निर्देश:
    • NGT ने कहा था कि अतिक्रमणकारियों की पहचान कर ली गई है और दोनों राज्यों ने एक निगरानी तंत्र गठित कर लिया है।
    • दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को तिमाही समीक्षा के माध्यम से अनुपालन की निगरानी करने का निर्देश दिया गया।
    • पीड़ित पक्षों को किसी भी उल्लंघन के लिये कानूनी उपाय अपनाने की अनुमति दी गई। 
  • अवैध निर्माण की सीमा:
    • वन विभाग के सर्वेक्षण से पता चला है कि गुरुग्राम में अरावली की भूमि पर कम-से-कम 500 अवैध फार्महाउस बनाए गए हैं।
      • ये ग्वालपहाड़ी, अभयपुर, गैरतपुर बास, सोहना, रायसीना और मानेसर जैसे क्षेत्रों में स्थापित थे।

अरावली पर्वतमाला

  • अरावली, पृथ्वी पर सबसे पुराना वलित पर्वत है। भूवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि यह तीन अरब साल पुराना है।
  • यह गुजरात से दिल्ली (राजस्थान और हरियाणा से होकर) तक 800 किलोमीटर से अधिक तक फैला हुआ है।
  • अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर स्थित गुरु शिखर है।
  • जलवायु पर प्रभाव:
    • अरावली पर्वतमाला का उत्तर-पश्चिम भारत और उससे आगे की जलवायु पर प्रभाव पड़ता है।
    • मानसून के दौरान, पर्वत शृंखला मानसून के बादलों को धीरे-धीरे पूर्व की ओर शिमला और नैनीताल की ओर ले जाती है, जिससे उप-हिमालयी नदियों को पोषण मिलता है तथा उत्तर भारतीय मैदानों को पोषण मिलता है।
    • सर्दियों के महीनों के दौरान, यह सिंधु और गंगा की उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों को मध्य एशिया से आने वाली कठोर ठंडी पश्चिमी हवाओं से बचाता है।