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राजस्थान

बस्टर्ड संरक्षण का अगला चरण

  • 03 Jul 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard- GIB) तथा लेसर फ्लोरिकन के संरक्षण के अगले चरण के लिये 56 करोड़ रुपए मंज़ूर किये हैं।

मुख्य बिंदु:

  • इस योजना में आवास विकास, स्व-स्थाने संरक्षण, संरक्षण प्रजनन केंद्र का निर्माण कार्य पूरा करना, बंदी-प्रजनित पक्षियों को मुक्त करना तथा अन्य गतिविधियाँ शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय CAMPA (प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण) ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India’s- WII) के प्रस्ताव की सिफारिश शासी निकाय को की थी।
  • इस प्रजाति को पुनर्जीवित करने की योजना सर्वप्रथम वर्ष 2013 में राष्ट्रीय बस्टर्ड रिकवरी योजना के तहत शुरू की गई थी, जिसने बाद में 2016 में बस्टर्ड रिकवरी प्रोजेक्ट को जन्म दिया।
  • बाद में जुलाई 2018 में MoEFCC, राजस्थान वन विभाग और WII के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
  • तीनों पक्षों द्वारा संचालित परियोजना के हिस्से के रूप में दो GIB संरक्षण प्रजनन केंद्र और एक लेसर फ्लोरिकन केंद्र क्रमशः राजस्थान के सैम, रामदेवरा तथा सोरसन में कार्य कर रहे हैं।
  • सैम और रामदेवरा की टीम ने इस प्रजाति की मूल आबादी (Founder Population) के पुनः वन्यीकरण हेतु वनों से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड/गोडावण के अंडों को एकत्र करके प्रजनन केंद्र में उनका कृत्रिम रूप से ऊष्मायन एवं उद्भवन (Incubated and Hatched) कर संवर्द्धन किया गया
  • वर्तमान में वनों में लगभग 140 GIB और 1,000 से भी कम लेसर फ्लोरिकन शेष हैं।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

लेसर फ्लोरिकन (Sypheotides indicus)

https://www.youtube.com/watch?v=ggavPiG5ccQ

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