मुज़फ्फरपुर अस्पताल: कोई मरीज़ नहीं | 10 Sep 2024

चर्चा में क्यों

हाल ही में मुज़फ्फरपुर के चैनपुरा गाँव में 2015 में निर्मित एक सरकारी अस्पताल स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिये बनाए जाने के बावजूद अप्रयुक्त और परित्यक्त है

मुख्य बिंदु:

  • अस्पताल की स्थिति: चैनपुरा गाँव में सरकारी अस्पताल 2015 में बनाया गया था, लेकिन यहाँ कभी किसी मरीज़ का इलाज नहीं हुआ।
  • 30 बिस्तरों वाले इस अस्पताल का कभी उद्घाटन नहीं हुआ और यह वीरान पड़ा है।
  • वर्तमान स्थिति: अस्पताल ऊँची घास से घिरा हुआ है, जो किसी डरावने घर जैसा लगता है। यह जुआरियों, शराबियों और नशेड़ियों सहित असामाजिक तत्त्वों का अड्डा बन गया है।
  • निर्माण संबंधी मुद्दे: अस्पताल का निर्माण मूल रूप से नियोजित स्थान से अलग स्थान पर किया गया था, जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग ने कब्ज़ा देने से इनकार कर दिया। छह एकड़ में फैला यह अस्पताल अभी भी परित्यक्त है।
  • बिहार में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति
    • स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना: बिहार को स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, कई परियोजनाएँ या तो अधूरी हैं या उनका पूरा उपयोग नहीं हुआ है।
      • राज्य में 9,112 SC (उप-केंद्र), 1,702 PHC (प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र) और 57 CHC (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) हैं, जिनमें से 10.54% PHC शहरी क्षेत्रों में हैं। आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (AB-HWC) के तहत, 2,341 HWC चालू हैं। सभी ज़िला अस्पताल (DH) तथा उप-ज़िला अस्पताल (SDH) कार्यात्मक FRU (प्रथम रेफरल इकाई) के रूप में कार्य करते हैं।
    • स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच: राज्य अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं से जूझ रहा है, जिससे इसके निवासियों की देखभाल की पहुँच और गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
      • हाल के आँकड़ों से पता चलता है कि 1,000 लोगों में से 642 लोगों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से OPD सेवाओं और 33 लोगों ने IPD सेवाओं का इस्तेमाल किया। हालाँकि NSSO डेटा (2017-18) से पता चलता है कि केवल 18% ग्रामीण और 23% शहरी OPD मामलों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग किया, जबकि 70% ग्रामीण तथा 72% शहरी IPD मामलों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग किया, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
  • चुनौतियाँ
    • अपर्याप्त योजना और कार्यान्वयन: निर्माण गलत भूखंड पर किया गया, जिसके कारण परियोजना को छोड़ दिया गया।
    • तोड़फोड़ और उपेक्षा: रखरखाव के अभाव के कारण अस्पताल परिसर को काफी क्षति पहुँची है और उसका दुरुपयोग हुआ है।
    • उद्घाटन और संचालन का अभाव: अस्पताल का कभी उद्घाटन नहीं किया गया और न ही इसे क्रियाशील बनाया गया, जिससे यह एक बेकार संपत्ति बनकर रह गया।
    • स्थानीय समुदाय पर प्रभाव: ग्रामीण स्थानीय चिकित्सा सेवाओं से वंचित हैं और उन्हें स्वास्थ्य देखभाल के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
  • आगे की राह
    • तत्काल मरम्मत और संचालन: अस्पताल को कार्यात्मक बनाने के लिये तत्काल मरम्मत तथा  नवीनीकरण करना। सुनिश्चित करना कि इमारत सुरक्षित एवं रखरखाव योग्य है।
    • प्रभावी प्रबंधन और निरीक्षण: यह सुनिश्चित करने के लिये कि स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की योजना, निर्माण और रखरखाव उचित रूप से किया गया है, मज़बूत निरीक्षण तंत्र को लागू करना।
    • सामुदायिक सहभागिता: स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की योजना और संचालन में स्थानीय समुदायों को शामिल करना ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
    • स्वास्थ्य देखभाल योजना की समीक्षा और सुधार करना: मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल परियोजनाओं की गहन समीक्षा करना और भविष्य में इसी तरह की समस्याओं को रोकने के लिये योजना तथा कार्यान्वयन प्रक्रियाओं में सुधार करना।