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मध्य प्रदेश

MP के यूनेस्को डिजिटल नवाचार

  • 17 Apr 2024
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

विश्व धरोहर दिवस (18 अप्रैल) के उपलक्ष्य में, मध्य प्रदेश पर्यटन राज्य के संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) सूचीबद्ध और अस्थायी विरासत स्थलों में उल्लेखनीय तकनीकी प्रगति का नेतृत्व कर रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • ये प्रयास अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से आगंतुकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लक्ष्य के साथ-साथ धरोहर संरक्षण के प्रति दृढ़ समर्पण को रेखांकित करते हैं।
  • अपनी सांस्कृतिक समृद्धि और विविधता के लिये प्रसिद्ध, मध्य प्रदेश गर्व से तीन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों का दावा करता है:
    • खजुराहो स्मारक समूह अपनी जटिल कामुक मूर्तियों के लिये प्रसिद्ध है;
    • साँची के स्तूप भारत की सबसे पुरानी पत्थर संरचनाओं में से एक हैं जो बौद्ध धर्म का प्रतीक हैं।
    • भीमबेटका के प्रागैतिहासिक शैल आश्रय प्रारंभिक मानव जीवन को दर्शाने वाले प्राचीन शैल चित्रों से सुसज्जित हैं।
  • इनके पूरक के रूप में अस्थायी सूची में 10 साइटें हैं, जिनमें शामिल हैं:
    • जबलपुर में सुरम्य भेड़ाघाट-लमेता घाट, वास्तुकला की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण मांडू समूह के स्मारक, भव्य मंदिरों और महलों से सुसज्जित ओरछा का ऐतिहासिक समूह, जैवविविधता से भरपूर सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व, ऐतिहासिक ग्वालियर किला, खूनी भंडारा की अभिनव जल प्रबंधन प्रणाली बुरहानपुर, प्राचीन कलात्मक अभिव्यक्तियों को प्रदर्शित करने वाले चंबल घाटी के रॉक आर्ट साइट्स, भोजपुर में विशाल भोजेश्वर महादेव मंदिर, सांस्कृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण रामनगर तथा मंडला के गोंड स्मारक एवं मठवासी परंपराओं को दर्शाने वाला धमनार का ऐतिहासिक समूह।
  • उल्लेखनीय प्रगतियाँ:
    • QR कोड-आधारित ऑडियो गाइड प्रमुख संग्रहालयों और स्मारकों पर गहन विवरण पेश करते हैं।
    • साँची, ओरछा, मांडू आदि सहित विभिन्न शहरों में मनोरम रोशनी और ध्वनि शो शुरू किये गए हैं।
    • ओकुलस उपकरणों के साथ संवर्धित एवं आभासी वास्तविकता (AR & VR) अनुभव, बेहतर सुविधा हेतु व्हाट्सएप का एकीकरण, सुव्यवस्थित पहुँच हेतु ऑनलाइन टिकट बुकिंग सिस्टम और राज्य के स्मारकों के सावधानीपूर्वक दस्तावेज़ीकरण तथा संरक्षण के लिये भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) मैपिंग।

खजुराहो समूह के स्मारक (1986)

  • इन मंदिरों का निर्माण चंदेल राजवंश के दौरान किया गया था जो सन् 950 और 1050 के बीच अपने चरम पर था।
  • मंदिरों की संख्या अब केवल 20 ही रह गई है जो दो अलग-अलग धर्मों - हिंदू धर्म और जैन धर्म से संबंधित हैं, जिनमें जटिल तथा सुंदर नक्काशीदार मूर्तियों से सजाए गए प्रसिद्ध कंदारिया मंदिर भी शामिल है।

भीमबेटका के रॉक शेल्टर (2003)

  • ये शेल्टर स्थल मध्य भारतीय पठार के दक्षिणी किनारे पर विंध्य पर्वतमाला की तलहटी में स्थित हैं।
  • प्राकृतिक रॉक शेल्टर के पाँच समूहों के रूप में खुदाई से प्राप्त चित्रों में मेसोलिथिक और उसके बाद के अन्य कालखंडों के चित्र प्रदर्शित हैं।
  • आस-पास के क्षेत्रों के निवासियों की सांस्कृतिक परंपराएँ चित्रों में प्रदर्शित परंपराओं के समान हैं।

साँची में बौद्ध स्मारक (1989)

  • यह वर्तमान में अस्तित्त्व में सबसे पुराना बौद्ध अभयारण्य है जो 12वीं शताब्दी तक भारत में एक प्रमुख बौद्ध केंद्र था।
  • इसके स्तंभों, प्रासादों, मंदिरों और मठों का निर्माण अलग-अलग राज्यों द्वारा (अधिकांश पहली और दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में) किया गया है।

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