खनन निगरानी प्रणाली | 20 Jun 2024
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिये राज्य में खनन डिजिटल परिवर्तन और निगरानी प्रणाली (MDTSS) की स्थापना हेतु 93 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को स्वीकृति दी।
मुख्य बिंदु:
- देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर में 40 चेक गेटों पर ये सिस्टम लगाए जाएंगे।
- बुलेट कैमरा, रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) रडार और लाइट एमिटिंग डायोड (LED) फ्लडलाइट से लैस नई प्रणाली न केवल अवैध खनन गतिविधियों की निगरानी करने में मदद करेगी बल्कि राज्य सरकार के राजस्व को भी बढ़ाएगी।
- देहरादून में खनन राज्य नियंत्रण केंद्र (MSCC) स्थापित किया जाएगा, साथ ही देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर में ज़िला मुख्यालयों पर मिनी कमांड सेंटर भी स्थापित किये जाएंगे।
अवैध खनन
- परिचय:
- अवैध खनन में सरकारी अधिकारियों से आवश्यक परमिट, लाइसेंस या विनियामक अनुमोदन के बिना भूमि या जल निकायों से खनिजों, अयस्कों या अन्य मूल्यवान संसाधनों का निष्कर्षण शामिल है।
- इसमें पर्यावरण, श्रम और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन भी शामिल हो सकता है।
- मुद्दे:
- पर्यावरणीय क्षरण:
- इससे निर्वनीकरण, मृदा अपरदन और जल प्रदूषण हो सकता है तथा इसके परिणामस्वरूप वन्यजीवों के आवास नष्ट हो सकते हैं, जिसके गंभीर पारिस्थितिक परिणाम हो सकते हैं।
- खतरे:
- राजस्व की हानि:
- इससे सरकारों को राजस्व की हानि हो सकती है क्योंकि खनिक उचित कर और रॉयल्टी का भुगतान नहीं कर सकते हैं।
- इसका महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव हो सकता है, विशेषकर उन देशों में जहाँ प्राकृतिक संसाधन राजस्व का एक प्रमुख स्रोत हैं।
- मानवाधिकार उल्लंघन:
- अवैध खनन के परिणामस्वरूप मानवाधिकार उल्लंघन भी हो सकता है, जिसमें जबरन श्रम, बाल श्रम और कमज़ोर आबादी का शोषण शामिल है।
- पर्यावरणीय क्षरण:
रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (Radio Frequency Identification- RFID
- रडार RFID एक प्रकार की निष्क्रिय वायरलेस तकनीक है जो किसी वस्तु या व्यक्ति को ट्रैक करने की अनुमति देती है।
- इस प्रणाली के दो आधारभूत भाग हैं: टैग और रीडर।
- रीडर रेडियो तरंगें उत्पन्न करता है और RFID टैग से सिग्नल वापस प्राप्त करता है, जबकि टैग अपनी पहचान तथा अन्य जानकारी संप्रेषित करने के लिये रेडियो तरंगों का प्रयोग करता है।
- टैग को कई फीट दूर से पढ़ा जा सकता है और ट्रैक किये जाने के लिये रीडर के सरल रैखिक होने की आवश्यकता नहीं है।
- इस तकनीक को 1970 के दशक से पूर्व से ही स्वीकृति दी गई है, लेकिन वैश्विक आपूर्ति शृंखला प्रबंधन और पालतू माइक्रोचिपिंग जैसी चीज़ों में इसके प्रयोग के कारण हाल के वर्षों में यह बहुत अधिक प्रचलित हो गई है।