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उत्तर प्रदेश

कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद

  • 12 Dec 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद पर सुनवाई करने वाली है। 

  • यह भारत के सबसे पुराने मंदिर-मस्जिद विवादों में से एक है, जिसमें हिंदू अपने पूजा स्थलों को पुनः प्राप्त करने की मांग कर रहे थे, उनका आरोप है कि मुस्लिम शासकों के आक्रमणों के दौरान उन्हें मस्जिदों में बदल दिया गया था।

मुख्य बिंदु

  • विवाद की पृष्ठभूमि:
    • भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माने जाने वाले मथुरा में 1618 में एक मंदिर का निर्माण किया गया था।
    • हिंदू पक्ष का आरोप है कि मुगल शासक औरंगज़ेब ने शाही ईदगाह मस्जिद बनाने के लिये 1670 में मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।
    • हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद में हिंदू धार्मिक प्रतीक और विशेषताएँ हैं, जिनमें कमल के आकार का स्तंभ और देवता शेषनाग की छवि शामिल है।
      • यह भी कहा गया है कि मस्जिद श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की 13.37 एकड़ भूमि के एक हिस्से पर बनाई गई थी और मस्जिद को स्थानांतरित करने के लिये मुकदमा दायर किया गया है।
    • शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी और UP सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का तर्क है कि मस्जिद विवादित भूमि पर नहीं है।
  • प्रमुख घटनाक्रम:
  • न्यायालय द्वारा निगरानी सर्वेक्षण:
    • 14 दिसंबर, 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शाही ईदगाह मस्जिद का न्यायालय की निगरानी में सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया।
    • न्यायालय ने सर्वेक्षण की देखरेख के लिये एक आयुक्त की नियुक्ति की, जो इस दावे पर आधारित था कि मस्जिद परिसर में अतीत में हिंदू मंदिर होने के संकेत मौजूद हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप:
    • ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति ने सर्वेक्षण के लिये उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की।
    • 16 जनवरी, 2024 को सर्वोच्च न्यायालय ने हिंदू पक्ष के आवेदन में अस्पष्टता का उल्लेख करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश पर सर्वेक्षण के लिये रोक लगा दी।
  • तर्क:
  • हिंदू पक्ष की स्थिति:
    • उन्होंने मांग की कि उच्च न्यायालय बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले की तरह ही मूल सुनवाई की जाए।
    • हिंदू पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि वह उच्च न्यायालय को आयोग के सर्वेक्षण की रूपरेखा निर्धारित करने की अनुमति दी जाए।
  • मस्जिद समिति की स्थिति:
    • समिति का तर्क है कि सर्वेक्षण के लिये उच्च न्यायालय का आदेश अवैध है, क्योंकि यह मुकदमा उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के तहत वर्जित है, जो 15 अगस्त, 1947 के धार्मिक स्थलों के स्वरूप में परिवर्तन को रोकता है।
    • समिति ने उच्च न्यायालय के 26 मई, 2023 के आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें विवाद से संबंधित सभी मामलों को मथुरा अदालत से अपने पास स्थानांतरित कर दिया गया था।

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