बिहार
काँवर झील
- 17 May 2024
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चर्चा में क्यों?
कभी प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल रही एशिया की सबसे बड़ी अलवण जल की गोखुर झील और बिहार की एकमात्र रामसर स्थल काँवर धीरे-धीरे लुप्त हो रही है।
मुख्य बिंदु:
- गोखुर झील (Oxbow Lake) एक वक्राकार झील है जो समय के साथ क्षरण और अवसादों के निक्षेपण के परिणामस्वरूप विसर्पी नदी के किनारे बनती है।
- गोखुर झीलें सामान्यतः अर्द्धचंद्राकार होती हैं जो नदियों के पास बाढ़ के मैदानों एवं निचले इलाकों में पाई जाने वाली भू-स्थलाकृतियाँ हैं।
- कभी लोकप्रिय पर्यटन स्थल रही काँवर झील अतिक्रमण का शिकार हो गई है और जिसका अस्तित्त्व संकट में है।
- भूमि के अनियंत्रित विस्तार और निकटवर्ती बूढ़ी गंडक नदी के किनारे तटबंधों के निर्माण ने आर्द्रभूमि में मुख्य जल प्रवेश बिंदु को अवरुद्ध कर दिया है।
- एक साझा धारणा है कि झील के पुनर्भरण करने की सरकारी पहल के साथ, इसमें अपनी पिछली भव्यता को पुनः प्राप्त करने और एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल में बदलने की क्षमता है, जो स्थानीय निवासियों के लिये नए रोज़गार की संभावनाएँ प्रदान करता है।
काँवर झील
- इसे काबरतल झील (Kabartal jheel) के नाम से भी जाना जाता है।
- यह एक अवशिष्ट गोखुर झील है, जो गंगा की सहायक नदी गंडक नदी के विसर्प के कारण बनी है।
- यह उत्तरी बिहार के अधिकांश सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्रों को कवर करती है।
- यह आर्द्रभूमि मध्य एशियाई फ्लाईवे (पक्षियों का महत्त्वपूर्ण प्रवास मार्ग व स्थल) है, जहाँ 58 प्रवासी जलपक्षी प्रवास करते हैं और अपना पोषण प्राप्त करते हैं।
- 50 से अधिक प्रजातियों के दस्तावेज़ीकरण के साथ यह झील मत्स्य जैवविविधता हेतु भी एक बहुमूल्य स्थल है।
- गंभीर रूप से संकटग्रस्त पाँच प्रजातियाँ इस स्थल पर निवास करती हैं, जिनमें गिद्ध की तीन प्रजातियाँ शामिल हैं- रेड-हेडेड वल्चर (Sarcogyps calvus), वाइट-रम्प्ड वल्चर (Gyps bengalensis) व इंडियन वल्चर (Gyps indicus) और दो जलपक्षी प्रजातियाँ– सोशिएबल लैपविंग (Vanellus gregarius) व बेयर पोशर्ड (Aythya baeri)।
- संकट: साइट पर प्रमुख संकटों का कारण जल प्रबंधन गतिविधियाँ जैसे: जल निकासी, जल पृथक्करण, बाँध-निर्माण और नहरीकरण शामिल हैं।