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उत्तराखंड

कैलाश मानसरोवर यात्रा

  • 19 Apr 2025
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय और चीनी अधिकारी कैलाश मानसरोवर वार्षिक तीर्थयात्रा को फिर से शुरू करने के लिये एक समझौते को अंतिम रूप देने के प्रयासों में तेज़ी ला रहे हैं, जो 2019 से निलंबित है।

मुख्य बिंदु

  • घटनाक्रम के बारे में:
    • कोविड-19 महामारी और सीमा तनाव के कारण वर्ष 2020 से निलंबित तीर्थयात्रा फिर से शुरू होने वाली है।
    • दोनों राष्ट्र सीधी हवाई सेवाएँ पुनः शुरू करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं, जिसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों के लिये यात्रा को सुविधाजनक बनाना तथा लोगों के बीच आपसी संपर्क को मज़बूत करना है। 
    • जल विज्ञान संबंधी आंकड़ों के आदान-प्रदान तथा सीमा पार नदियों पर सहयोग को पुनः आरंभ करने, आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ाने के लिये चर्चा चल रही है। 
    • वर्ष 2025 भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ होगी, जो यात्रा जैसी पहलों के माध्यम से संबंधों को फिर से बनाने का एक उपयुक्त अवसर प्रदान करेगा।

कैलाश पर्वत 

  • यह तिब्बत में स्थित काली चट्टान से बनी हीरे के आकार की चोटी है। 
  • भारत प्रतिवर्ष जून और सितंबर के बीच उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे (1981 से) और सिक्किम में नाथू ला दर्रे (2015 से) के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा (KMY) का आयोजन करता है। 
  • कैलाश पर्वत की ऊँचाई 6,638 मीटर है और इसे हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन (तिब्बत का स्वदेशी धर्म) धर्मावलंबियों द्वारा पवित्र शिखर माना जाता है। 
    • तिब्बती बौद्धों के लिये, कैलाश ब्रह्मांडीय धुरी या मेरु पर्वत है, जो स्वर्ग और पृथ्वी को जोड़ता है। 
    • हिंदू धर्म में, यह भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास स्थान है। 
    • जैन धर्म में, कैलाश अष्टापद है, जहाँ ऋषभनाथ को ज्ञान प्राप्त हुआ था। 
    • कैलाश पर्वत को पृथ्वी का आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है, जहाँ से सतलुज, ब्रह्मपुत्र, कमली और सिंधु नदियाँ निकलती हैं।  
    • मानसरोवर झील पर्वत की तलहटी  में स्थित है। 
    • हालाँकि कैलाश पर्वत की ऊँचाई माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) से कम है, फिर भी इस पर चढ़ाई नहीं की जा सकती, क्योंकि इसके पवित्र महत्त्व के कारण इस पर चढ़ाई प्रतिबंधित है। 

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