उत्तर प्रदेश के ज़िलों में भूजल स्तर में सुधार | 01 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
नमामि गंगे एवं जलापूर्ति अनुभाग-3 की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार प्रयागराज समेत प्रदेश के 32 ज़िलों में भूजल स्तर में बढ़ोतरी हुई है। जिससे इन ज़िलों में क्रिटिकल ज़ोन की संख्या कम हो गई है।
मुख्य बिंदु:
- प्रयागराज के भूजल विभाग ने बताया कि वे यह निर्धारित करने के लिये विभिन्न मापदंडों का विश्लेषण करते हैं कि कोई ज़िला सुरक्षित, क्रिटिकल, सेमी क्रिटिकल और अधिक पानी निकाले गए ज़ोन में आता है या नहीं। सबसे महत्त्वपूर्ण महत्त्व निकाले गए पानी की कुल मात्रा तथा पुनर्भरण के साथ इसका तुलना है। गहन वार्षिक मूल्यांकन के बाद, वे प्रत्येक ज़िले को तदनुसार वर्गीकृत करते हैं।
- राज्य में जो ज़िले सुरक्षित ज़ोन में हैं उनमें प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, फतेहपुर, वाराणसी, जौनपुर, आगरा, फिरोज़ाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, एटा, हाथरस, बदायूं, चित्रकूट, महोबा, कानपुर नगर, कन्नौज, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर, गाज़ियाबाद, हापुड़, मिर्ज़ापुर, मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर, संभल, सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर और शामली शामिल हैं।
नमामि गंगे कार्यक्रम
- नमामि गंगे कार्यक्रत संरक्षण मिशन है, जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा ‘फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था, ताकि प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।
- यह जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग तथा जल शक्ति मंत्रालय के तहत संचालित किया जा रहा है।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और इसके राज्य समकक्ष संगठनों यानी राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों (SPMGs) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- NMCG राष्ट्रीय गंगा परिषद का कार्यान्वयन विंग है, यह वर्ष 2016 में स्थापित किया गया था जिसने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) को प्रस्थापित किया।
- इसके पास 20,000 करोड़ रुपए का केंद्रीय वित्तपोषित, गैर-व्यपगत कोष है और इसमें लगभग 288 परियोजनाएँ शामिल हैं।
- कार्यक्रम के मुख्य स्तंभ हैं:
- सीवेज़ ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर
- रिवर फ्रंट डेवलपमेंट
- नदी-सतह की सफाईम एक एकीकृ
- जैवविविधता
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- जन जागरण
- औद्योगिक प्रवाह निगरानी
- गंगा ग्राम