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State PCS Current Affairs

मध्य प्रदेश

भूमि संघर्ष पर वन अधिकार अधिनियम का प्रभाव

  • 20 Apr 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत में भूमि संबंधी संघर्षों को ट्रैक करने वाली डेटा अनुसंधान एजेंसी लैंड कॉन्फ्लिक्ट वॉच ने भूमि संघर्ष और वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के प्रवर्तन के बीच एक महत्त्वपूर्ण संबंध दर्ज किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 2006 में अधिनियमित FRA वन में रहने वाले जनजातीय समुदायों और अन्य पारंपरिक वन निवासियों के वन संसाधनों के अधिकारों को मान्यता देता है, जिन पर ये समुदाय आजीविका, निवास व अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक आवश्यकताओं सहित विभिन्न आवश्यकताओं के लिये निर्भर थे।
  • लैंड कॉन्फ्लिक्ट वॉच (LCW) डेटाबेस में दर्ज 781 संघर्षों में से, 264 संघर्षों का एक उपसमूह संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों से निकटता से संबद्ध है जहाँ वन अधिकार अधिनियम (FRA) एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है।
  • पीपुल्स फॉरेस्ट रिपोर्ट (विज्ञान और पर्यावरण केंद्र द्वारा) के आधार पर इन निर्वाचन क्षेत्रों को आमतौर पर 'FRA निर्वाचन क्षेत्रों' के रूप में जाना जाता है।
  • महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्य प्रदेश में कोर FRA निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या सबसे अधिक है।
  • महत्त्वपूर्ण FRA निर्वाचन क्षेत्रों में सबसे अधिक वन अधिकार मुद्दों वाले राज्य ओडिशा, छत्तीसगढ़ तथा केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर हैं।

FRA के कार्यान्वयन की स्थिति

  • प्रदान की गई उपाधियाँ: फरवरी 2024 तक, जनजातियों और वनवासियों को लगभग 2.45 मिलियन उपाधियाँ प्रदान की गई हैं।
    • हालाँकि, प्राप्त पाँच मिलियन दावों में से लगभग 34% खारिज़ कर दिये गए हैं।
  • मान्यता दर: विशाल संभावनाओं के बावजूद, वन अधिकारों की वास्तविक मान्यता सीमित रही है। 31 अगस्त 2021 तक, FRA लागू होने के बाद से वन अधिकारों के लिये पात्र न्यूनतम संभावित वन क्षेत्रों में से केवल 14.75% को ही मान्यता दी गई है।
  • राज्य भिन्नताएँ:
    • आंध्र प्रदेश: अपने न्यूनतम संभावित वन दावे का 23% मान्यता प्राप्त है।
    • झारखंड: अपने न्यूनतम संभावित वन क्षेत्र का केवल 5% ही मान्यता प्राप्त है
    • अंतर-राज्य भिन्नताएँ: राज्यों के भीतर भी मान्यता दरें भिन्न-भिन्न होती हैं। उदाहरण के लिये, ओडिशा में, जबकि नबरंगपुर ज़िले ने 100% IFR मान्यता दर हासिल की, संबलपुर की दर 41.34% है।
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