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उत्तराखंड

उत्तराखंड में भूस्खलन का प्रभाव

  • 28 Sep 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों? 

चमोली ज़िले में बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) को अत्यधिक वर्षा के कारण बार-बार अवरुद्ध हो रहा है, जिससे भूस्खलन और मलबा जमा हो गया है।  

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तराखंड में कुछ स्थानों पर अत्यधिक वर्षा की भविष्यवाणी की है, जिससे और अधिक व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।        
  • भूस्खलन:
    • भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना है जिसमें ढलान पर चट्टान, मृदा और मलबे का भार नीचे की ओर खिसकता है  
    • भूस्खलन प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ढलानों पर हो सकता है, और ये प्रायः अत्यधिक वर्षा, भूकंप, ज्वालामुखी गतिविधि, मानवीय गतिविधियों (जैसे निर्माण या खनन) और भूजल स्तर में परिवर्तन जैसे कारकों के संयोजन से उत्पन्न होते हैं।
    • भूस्खलन को उनकी गतिशीलता विशेषताओं के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है: 
      • स्खलन/स्लाइड (Slides): एक विखंडित सतह (Rupture surface) के साथ गति, जिसमें घूर्णी और स्थानांतरणीय स्लाइड शामिल हैं जहाँ दरार वाली सतह घुमावदार होती है, और स्थानान्तरण स्लाइड, सतह समतल होती है। 
    • प्रवाह/फ्लो (Flows): ये मृदा या शैल के ऐसे संचलन हैं जिनमें बड़ी मात्रा में जल भी शामिल होता है, जो इस द्रव्यमान को तरल पदार्थ की तरह प्रवाहित करता है, जैसे कि पृथ्वी का प्रवाह, मलबे का प्रवाह, कीचड़ का प्रवाह।
    • फैलाव/स्प्रेड (Spreads): ये मृदा या शैल के ऐसे संचलन हैं जिनमें पार्श्व विस्तार और द्रव्यमान का टूटना शामिल होता है। ये आमतौर पर सामग्री के द्रवीकरण या पटल विरूपण के कारण होते हैं। 
    • अग्रपात/टॉपल्स (Topples): ये मृदा या शैल के ऐसे संचलन हैं जिनमें ऊर्ध्वाधर या निकट-ऊर्ध्वाधर भृगु या ढलान से द्रव्यमान का आगे की ओर घूमना और मुक्त रूप से गिरना शामिल होता है।  
    • प्रपात/फॉल्स (Falls): ये मृदा या शैलों के ऐसे संचलन हैं जिनमें ये खड़ी ढलान या भृगु से अलग हो जाते हैं और मुक्त रूप से गिरते हैं तथा लुढ़कते हुए आगे बढ़ते हैं।  

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