उत्तराखंड वनाग्नि पर भारतीय वायुसेना द्वारा नियंत्रण जारी | 09 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि वनाग्नि की आपात स्थिति पर अब नियंत्रण कर लिया गया है
मुख्य बिंदु:
- मुख्यमंत्री ने वनों से 'पिरूल' (चीड़ की पत्तियाँ) एकत्र करने के लिये एक कुशल रणनीति की आवश्यकता पर बल दिया।
- उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से पिरूल संग्रहण और आस-पास के वनों की सुरक्षा के व्यापक अभियान में भाग लेने का आग्रह किया।
- इसके अतिरिक्त, उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार चीड़ की पत्तियों के संग्रह को प्रोत्साहित करने और वनाग्नि पर नियंत्रण के लिये 'पिरुल लाओ-पैसे पाओ' पहल लागू कर रही है।
- इस मिशन के तहत वनाग्नि को कम करने के उद्देश्य से पिरूल को संग्रहण केंद्र पर ₹50/किलो की दर से खरीदा जाएगा।
- इस बीच, भारतीय वायु सेना (IAF) ने वनाग्नि को बुझाने में राज्य की मदद करना जारी रखा है। इसने साढ़े 11 घंटे तक 23 उड़ानें भरीं और पहाड़ में भड़की वनाग्नि को बुझाने के लिये 44,600 लीटर जल का इस्तेमाल किया।
- उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र के वनों में लगी भीषण आग से निपटने के लिये भारतीय वायुसेना ने अपने Mi17 V5 हेलीकॉप्टरों द्वारा बांबी बकेट ऑपरेशन चलाकर अति आवश्यक राहत प्रदान की।
बांबी बकेट ऑपरेशन (Bambi Bucket operation)
- बांबी बकेट, जिसे हेलीकॉप्टर बाल्टी या हेली बाल्टी भी कहा जाता है, एक विशेष कंटेनर है जिसे हेलिकॉप्टर के नीचे केबल द्वारा लटकाकर पहले नदी या तालाब में डुबो कर जल से भरा जाता है फिर उस बकेट/बाल्टी के तल पर लगे एक वाल्व को खोलकर आग से प्रभावित क्षेत्र के उपर जल का छिड़काव किया जाता है।
- बांबी बकेट विशेष रूप से वनाग्नि से बचने या उसका सामना करने में सहायक वह राहत प्रक्रिया है, जहाँ थल मार्ग द्वारा पहुँचना मुश्किल या असंभव है। विश्व भर में वनाग्नि का सामना करने के लिये प्रायः हेलीकॉप्टरों का ही प्रयोग किया जाता है।