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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में अत्यधिक वर्षा की चेतावनी

  • 27 Sep 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों? 

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तर प्रदेश के लिये महत्त्वपूर्ण मौसम चेतावनी जारी करते हुए विभिन्न ज़िलों को येलो और ऑरेंज अलर्ट पर रखा है।

  • यह चेतावनी मुख्य रूप से बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम में बने निम्न दाब के क्षेत्र के कारण है, जो अब चक्रवाती परिसंचरण में परिवर्तित हो गया है और वर्तमान में उत्तर प्रदेश को प्रभावित कर रहा है।

मुख्य बिंदु

  • अत्यधिक वर्षा की चेतावनी वाले ज़िले: कुल 24 ज़िलों में अत्यधिक वर्षा की चेतावनी जारी की गई है। इनमें शामिल हैं: बाँदा, चित्रकूट, कौशांबी, प्रयागराज, देवरिया, गोरखपुर, बहराईच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झाँसी, ललितपुर, 
    • इन ज़िलों में IMD ने अत्यधिक वर्षा की संभावना जताते हुए येलो अलर्ट जारी किया है।
  • अत्यधिक वर्षा के लिये आठ ज़िलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। ये ज़िले हैं संत कबीर नगर, बस्ती, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती।

  • इन क्षेत्रों के निवासियों को अत्यधिक वर्षा और संभावित व्यवधानों के लिये तैयार रहना चाहिये।

रंग-कोडित मौसम चेतावनी

  • इसे IMD द्वारा जारी किया जाता है जिसका उद्देश्य गंभीर अथवा खतरनाक मौसम से पूर्व लोगों को सचेत करना है जिससे नुकसान, व्यापक व्यवधान या जीवन को खतरा होने की संभावना होती है ।
  • IMD 4 रंग कोड का उपयोग करता है:
    • ग्रीन (सब ठीक है): कोई सलाह जारी नहीं की गई है।
    • येलो (सावधान रहें): येलो अलर्ट कई दिनों तक खराब मौसम का संकेत देता है। यह बताता है कि मौसम और भी खराब हो सकता है, जिससे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में व्यवधान आ सकता है।
    • ऑरेंज (तैयार रहें): ऑरेंज अलर्ट अत्यंत खराब मौसम की चेतावनी के रूप में जारी किया जाता है, जिससे सड़क और रेल मार्ग बंद होने से आवागमन में व्यवधान उत्पन्न होने और विद्युत् आपूर्ति बाधित होने की संभावना रहती है।
    • रेड (कार्यवाही करें): जब अत्यंत खराब मौसम की स्थिति के कारण यात्रा और विद्युत् बाधित होने लगती है तथा जीवन को गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाता है, तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है।
  • ये चेतावनियाँ सार्वभौमिक प्रकृति की होती हैं तथा बाढ़ के दौरान भी जारी की जाती हैं, जो अत्यधिक वर्षा के परिणामस्वरूप भूमि/नदी में जल की मात्रा पर निर्भर करती हैं।
    • उदाहरण के लिये, जब किसी नदी का जल 'सामान्य' स्तर से ऊपर या 'चेतावनी' और 'खतरे' के स्तर के बीच होता है, तो येलो अलर्ट जारी किया जाता है।

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