हरियाणा
2025 गणतंत्र दिवस परेड में हरियाणा की झाँकी शामिल
- 24 Jan 2025
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2025 के गणतंत्र दिवस परेड में हरियाणा की झाँकी विभिन्न क्षेत्रों में राज्य की प्रगति को उजागर करेगी, जिसमें जनता को लाभ पहुँचाने वाली सरकारी योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- गणतंत्र दिवस परेड में हरियाणा की झाँकी:
- झाँकी में कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिये गए भगवद् गीता के दिव्य संदेश को दर्शाया जाएगा।
- हरियाणा की झाँकी का विषय "समृद्ध हरियाणा- विरासत और विकास" कुरुक्षेत्र में अपनी ऐतिहासिक जड़ों से लेकर आधुनिक उपलब्धियों तक हरियाणा की यात्रा को दर्शाता है।
- गणतंत्र दिवस परेड 2025 की मुख्य विशेषताएँ:
- गणतंत्र दिवस 2025 का विषय 'स्वर्णिम भारत- विरासत और विकास' है, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसकी प्रगति की निरंतर यात्रा को दर्शाता है।
- 2025 की गणतंत्र दिवस परेड में तीनों सेनाओं की झाँकी भी शामिल होगी, जिसमें सशस्त्र बलों के बीच सहयोग और एकीकरण की भावना पर ज़ोर दिया जाएगा। इस झाँकी का विषय "सशक्त और सुरक्षित भारत" है।
- विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों की 31 झाँकियाँ इसमें भाग लेंगी, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता और प्रगति को दर्शाएँगी।
- गणतंत्र दिवस परेड 2025 भारत की सांस्कृतिक विविधता और सैन्य शक्ति का एक अनूठा मिश्रण होगा, जिसमें संविधान लागू होने के 75 वर्ष और जन भागीदारी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- इंडोनेशिया की भागीदारी:
- इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो परेड के मुख्य अतिथि होंगे।
- इंडोनेशिया की 160 सदस्यीय मार्चिंग टुकड़ी और 190 सदस्यीय बैंड टुकड़ी भी भारतीय सशस्त्र बलों के साथ मार्च करेगी।
गणतंत्र दिवस
- गणतंत्र दिवस 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान के अंगीकरण तथा देश के गणतंत्र में परिवर्तन की स्मृति में मनाया जाता है, जो 26 जनवरी, 1950 को प्रभावी हुआ।
- संविधान को भारत की संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया तथा 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया।
- 26 जनवरी, 1950 को प्रभावी होने पर संविधान ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 और भारत सरकार अधिनियम, 1935 को निरस्त कर दिया। भारत ब्रिटिश क्राउन का प्रभुत्व नहीं रहा और संविधान के साथ एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया।
- प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस पर भारत के राष्ट्रपति, जो राज्य के प्रमुख होते हैं, तिरंगा फहराते हैं, जबकि स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर प्रधानमंत्री, जो केंद्र सरकार का नेतृत्व करते हैं, राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं।
- यद्यपि दोनों शब्दों का प्रयोग प्रायः एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है, लेकिन ये तिरंगे को प्रस्तुत करने की भिन्न-भिन्न तकनीकों को दर्शाते हैं।