हरियाणा की नई आबकारी नीति | 16 May 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा कैबिनेट ने निर्वाचन आयोग से मंजूरी मिलने के बाद वर्ष 2024-25 के लिये एक नई आबकारी नीति को अपनी मंज़ूरी दे दी।

मुख्य बिंदु:

  • 12 जून से शुरू होने वाली नई नीति में इंडियन मेड फॉरेन लिकर (IMFL) और देशी शराब पर एक्साइज़/आबकारी शुल्क में मामूली बढ़ोतरी होगी।
  • मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में यहाँ कैबिनेट की बैठक हुई।
  • वर्ष 2024-25 के लिये IMFL का अधिकतम बेसिक कोटा 700 लाख प्रूफ लीटर (माप इकाई) और देशी शराब के लिये 1,200 लाख प्रूफ लीटर होगा।
  • IMFL और देशी शराब के लिये वर्ष 2023-24 में शुरू की गई QR कोड-आधारित ट्रैक एवं ट्रेस प्रणाली का विस्तार आयातित विदेशी शराब तक भी किया जाएगा।
  • नई नीति में रिटेल दुकानों की अधिकतम संख्या वही रहेगी। ई-नीलामी में भाग लेने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को आधार कार्ड या परिवार पहचान-पत्र, पिछले तीन मूल्यांकन वर्षों के लिये आयकर रिटर्न प्रस्तुत करना होगा और उसकी न्यूनतम कुल संपत्ति 60 लाख रुपए होनी चाहिये।
  • चूँकि मौजूदा लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र आदर्श आचार संहिता लागू है, इसलिये नीति पर निर्णय लेने से पूर्व निर्वाचन आयोग की मंज़ूरी ली गई थी।

आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct)

  • MCC एक सर्वसम्मत दस्तावेज़ है। राजनीतिक दल स्वयं चुनाव के दौरान अपने आचरण को नियंत्रित रखने और संहिता के भीतर काम करने पर सहमत हुए हैं।
  • यह चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत दिये गए जनादेश को ध्यान में रखते हुए मदद करता है, जो उसे संसद और राज्य विधानमंडलों के लिये स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों की निगरानी एवं संचालन करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • MCC चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की तारीख से परिणाम की घोषणा की तारीख तक लागू रहता है।
  • संहिता लागू रहने के दौरान सरकार किसी वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं कर सकती, सड़कों या अन्य सुविधाओं के निर्माण का वादा नहीं कर सकती और न ही सरकारी या सार्वजनिक उपक्रम में कोई तदर्थ नियुक्ति कर सकती है।

आयकर रिटर्न

  • आयकर: आयकर एक वित्तीय वर्ष में अर्जित किसी व्यक्ति या व्यवसाय की वार्षिक आय पर लगाया जाने वाला कर है।
    • भारत में आयकर प्रणाली आयकर अधिनियम, 1961 द्वारा शासित होती है और यह एक प्रत्यक्ष कर है।
  • आयकर रिटर्न: यह एक निर्दिष्ट दस्तावेज़ है जिसका उपयोग किसी वित्तीय वर्ष में किसी व्यक्ति की आय और उस आय पर भुगतान किये गए करों के विषय में आयकर विभाग को विवरण देने के लिये किया जाता है।
    • इसके अतिरिक्त, यह फॉर्म लोगों को हुए नुकसान को दर्शाने तथा आयकर विभाग से रिफंड का दावा करने की सुविधा भी देता है।