हरियाणा दिवस, 2024 | 05 Nov 2024
प्रमुख बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- भाषाई और सांस्कृतिक पहचान: सांस्कृतिक और भाषाई रूप से अलग हरियाणा ने आज़ादी के बाद पंजाब से स्वायत्तता की मांग की।
- राज्य का दर्जा देने की मांग: प्रमुख नेताओं ने हरियाणा की सांस्कृतिक और भाषाई विशिष्टता पर ज़ोर देते हुए एक हिंदी भाषी राज्य की वकालत की।
- पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966: भारतीय संसद द्वारा पारित, यह अधिनियम हरियाणा और पंजाब राज्यों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के निर्माण में महत्त्वपूर्ण था।
- शाह आयोग (1966): न्यायमूर्ति जे.सी. शाह के अधीन गठित इस आयोग ने भाषाई जनसांख्यिकी के आधार पर विशिष्ट सीमाओं की सिफारिश की थी।
- सिफारिश: हरियाणा को हिंदी भाषी आबादी के अनुरूप क्षेत्र आवंटित किये जाएँ, जिनमें हिसार और गुड़गाँव जैसे ज़िले भी शामिल हों।
- महत्वपूर्ण व्यक्तित्व:
- पंडित भगवत दयाल शर्मा: हरियाणा के प्रथम मुख्यमंत्री, वे पूर्ण राज्य के लिये एक प्रमुख समर्थक थे।
- न्यायमूर्ति जे.सी. शाह: शाह आयोग की अध्यक्षता की, जो हरियाणा की सीमाओं के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण था।
पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966
- पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 ने पंजाब राज्य के कुछ हिस्सों को अलग करके नए राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया।
- हरियाणा एक नया राज्य था, जो राज्य के हिंदी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया था, जिसमें हिसार, रोहतक, गुड़गाँव, करनाल और महेंद्रगढ़ ज़िले शामिल थे।
- हिमाचल प्रदेश में पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश बनाया गया, जो उस समय केंद्र शासित प्रदेश था। हिमाचल प्रदेश वर्ष 1971 में एक राज्य बना।
- पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा दोनों की अस्थायी राजधानी के रूप में कार्य करने के लिये केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था।
- पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 भारतीय संसद द्वारा 18 सितंबर, 1966 को पारित किया गया था। यह पंजाबी सूबा आंदोलन का परिणाम था, जिसका उद्देश्य पंजाबी भाषी राज्य बनाना था।