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हरियाणा

हरियाणा के शहर भारत के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल

  • 05 Jul 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जून 2024 में भारत के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से आधे से अधिक शहर हरियाणा के होंगे।

मुख्य बिंदु

  • अध्ययन में शामिल 251 भारतीय शहरों में रोहतक सबसे प्रदूषित था।जून में रोहतक में PM2.5 (सूक्ष्म श्वास कण) की औसत सांद्रता 116µg/m³ थी, जो भारत में निर्धारित सुरक्षित स्तर 60µg/m³ से दोगुनी से भी अधिक थी।
  • जून में शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में रोहतक 28 बार शामिल रहा
  • उसके बाद चरखी दादरी एवं पंचकूला 16-16 बार, बल्लभगढ़ 11 बार और फरीदाबाद 10 बार शामिल रहा।
  • कुल 60 शहर दैनिक सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हुए। इनमें से 23 शहर कम-से-कम पाँच बार सूची में शामिल हुए। केवल फरीदाबाद ही राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का हिस्सा है।
  • शिकागो विश्वविद्यालय की 2021 वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (Air Quality Life Index- AQLI) रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश है, जहाँ सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण (PM2.5) औसत नागरिक की जीवन प्रत्याशा को 5.3 वर्ष कम कर देता है।

कणिका पदार्थ

  • इसे कण प्रदूषण भी कहा जाता है, जो वायु में पाए जाने वाले ठोस कणों और तरल बूंदों के मिश्रण के लिये एक शब्द है। इससे श्वसन संबंधी समस्याएँ होती हैं तथा दृश्यता भी कम हो जाती है।
  • इसमें शामिल है:
    • PM10: साँस के साथ अंदर जाने वाले कण, जिनका व्यास आमतौर पर 10 माइक्रोमीटर और उससे छोटा होता है
    • PM2.5: साँस के साथ अंदर जाने वाले सूक्ष्म कण, जिनका व्यास आमतौर पर 2.5 माइक्रोमीटर और उससे छोटा होता है।
  • PM के स्रोत:
    • इनमें से कुछ प्रत्यक्षतः जैसे- निर्माण स्थल, कच्ची सड़कें, खेत, अथवा आग किसी स्रोत से उत्सर्जित होते हैं

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

  • इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा जनवरी 2019 में लॉन्च किया गया था।
  • समयबद्ध कटौती लक्ष्य के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये एक राष्ट्रीय ढाँचा तैयार करने का यह देश में पहला प्रयास है।
  • इसका उद्देश्य मोटे कणों (10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कणिका पदार्थ (PM) या PM10) और बारीक कणों (2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कणिका पदार्थ, या PM2.5) की सांद्रता को अगले पाँच वर्षों में कम-से-कम 20% तक कम करना है, जिसकी तुलना के लिये आधार वर्ष 2017 रखा गया है।
  • इसमें 132 गैर-प्राप्ति शहरों को शामिल किया गया है, जिनकी पहचान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) द्वारा की गई थी।
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