हरियाणा में लाल डोरा संपत्तियों पर बड़ा कदम | 23 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा सरकार ने शहरी क्षेत्रों में लाल डोरा संपत्तियों से संबंधित लंबे समय से चल रहे मुद्दों को हल करने के लिये एक व्यापक रजिस्ट्री पहल शुरू की है।
- मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति मालिकों और दीर्घकालिक किरायेदारों दोनों को लाभ मिलेगा।
मुख्य बिंदु
- लाल डोरा का सीमांकन वर्ष 1908 में ब्रिटिश शासन के दौरान किया गया था, जिसमें औपचारिक बस्तियों के बाहर कृषि के लिये क्षेत्रों को चिह्नित किया गया था।
- इन भूमियों को भवन निर्माण उपनियमों और नगरपालिका विनियमों से छूट दी गई है, लेकिन मालिकों को अक्सर स्वामित्व सिद्ध करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे संपत्ति के लेन-देन एवं वित्तीय सेवाओं तक पहुँच में बाधा उत्पन्न होती है।
- राज्य सरकार ने गाँवों को लाल डोरा प्रतिबंधों से मुक्त करने हेतु उपाय लागू किये, जिससे वहाँ रहने वालों को संपत्ति के अधिकार प्राप्त करने की अनुमति मिल सके।
- स्वामित्व योजना का उद्देश्य लाल डोरा क्षेत्रों में संपत्ति के स्वामित्व अधिकारों को सुव्यवस्थित करना और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
- मुख्यमंत्री गुरुग्राम में एक राज्य स्तरीय समारोह में लाभार्थियों को संपत्ति प्रमाण-पत्र और रजिस्ट्री वितरित करेंगे, जो हरियाणा में शहरी विकास के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षण होगा।
मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना
- इसे राज्य में 20 वर्षों से अधिक समय से किराए या पट्टे पर चल रही नगर पालिकाओं की वाणिज्यिक भूमि का स्वामित्व देने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इस योजना के तहत, जो व्यक्ति किराए या पट्टे के माध्यम से 20 वर्षों से भूमि पर कब्ज़ा कर रहे हैं, उन्हें कलेक्टर दर के 80% तक भुगतान पर स्वामित्व अधिकार दिया जा रहा है।
- इसी तरह ज़मीन पर कब्ज़े के वर्षों की सीमा के अनुसार अलग-अलग दरों पर कलेक्टर रेट देना होगा, जैसे 25 वर्ष के लिये कलेक्टर रेट का 75%, 30 वर्ष के लिये 70%, 35 वर्ष के लिये 65%, 40 वर्षों के लिये 60%, 45 वर्षों के लिये 55% तथा 50 वर्षों के लिये 50% भुगतान पर स्वामित्व अधिकार देने का प्रावधान है।
स्वामित्व योजना
- स्वामित्व का तात्पर्य गाँवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण से है।
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे 24 अप्रैल, 2021 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया गया था।
- इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत के लिये एकीकृत संपत्ति सत्यापन समाधान प्रदान करना है।
- ग्रामीण आवासीय क्षेत्रों का सीमांकन ड्रोन सर्वेक्षण और CORS (Continuously Operating Reference Stations अर्थात् निरंतर प्रचालन संदर्भ स्टेशन) नेटवर्क का उपयोग करके किया जाएगा, जो 5 सेमी. की मानचित्रण सटीकता प्रदान करता है।
- इससे गाँवों के बसे हुए ग्रामीण क्षेत्रों में मकान रखने वाले ग्रामीण परिवार स्वामियों को ‘अधिकारों का अभिलेख (Record of Rights)’ उपलब्ध हो सकेगा।
- यह वर्ष 2021-2025 के दौरान पूरे देश के लगभग 6.62 लाख गाँवों को कवर करेगा।