हरियाणा
गोहाना: हरियाणा का 23वाँ ज़िला
- 24 Jun 2024
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चर्चा में क्यों?
संत कबीर दास की 626वीं जयंती के अवसर पर गोहाना में एक सभा को संबोधित करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा की कि सोनीपत के गोहाना को हरियाणा का 23वाँ ज़िला घोषित किया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- राज्य में नए ज़िले बनाने के लिये एक समिति बनाई गई है और यह तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी। जिसके बाद गोहाना को राज्य का नया ज़िला घोषित किया जाएगा।
- सभा के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की:
- गोहाना में संत कबीर के नाम पर एक चौक का निर्माण।
- लाइब्रेरी और लंगर हॉल के निर्माण के लिये गोहाना धानक शिक्षा सभा को 31 लाख रुपए का आवंटन।
- आवश्यक भूमि उपलब्ध होते ही रोहतक-जींद रोड पर बाई-पास का निर्माण तुरंत शुरू किया जाएगा।
- सरकारी नौकरियों में लंबित पदों को पूरा किया जाएगा।
- मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि हरियाणा अंत्योदय परिवार परिवहन योजना (HAPPY) शुरू की गई है, जिसके तहत ₹1 लाख से कम आय वाले 23 लाख परिवारों के 84 लाख व्यक्तियों को हरियाणा राज्य परिवहन की बसों में सालाना 1000 किलोमीटर तक की निशुल्क यात्रा की सुविधा दी जाती है।
- चिरायु योजना के तहत, सरकार आर्थिक रूप से वंचित व्यक्तियों को सरकारी और निजी अस्पतालों में प्रति वर्ष ₹5 लाख तक का निशुल्क इलाज़ मुहैया करा रही है
- राज्य सरकार ने महापुरुषों द्वारा दी गई शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिये महापुरुष सम्मान प्रचार प्रसार योजना भी शुरू की है
संत कबीर दास
- संत कबीर दास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में हुआ था। वे 15वीं शताब्दी के रहस्यवादी कवि, संत, समाज सुधारक और भक्ति आंदोलन के समर्थक थे।
- कबीर की विरासत आज भी कबीर पंथ (एक धार्मिक समुदाय जो कबीर को संस्थापक मानता है) के नाम से प्रसिद्ध संप्रदाय के माध्यम से चल रही है।
- उनका प्रारंभिक जीवन एक मुस्लिम परिवार में बीता, लेकिन वे अपने गुरु, हिंदू भक्ति नेता रामानंद से बहुत प्रभावित थे।
- कबीर दास की रचनाओं का भक्ति आंदोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा और इसमें कबीर ग्रंथावली, अनुराग सागर, बीजक तथा साखी ग्रंथ जैसे शीर्षक शामिल हैं।
- उनके पद सिख धर्म के धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में पाए जाते हैं
- उनके काम का बड़ा हिस्सा पाँचवें सिख गुरु, गुरु अर्जन देव द्वारा संकलित किया गया था
- वे अपने दो-पंक्ति वाले दोहों के लिये सबसे ज़्यादा जाने जाते हैं, जिन्हें 'कबीर के दोहे' के नाम से जाना जाता है।
- कबीर की रचनाएँ हिंदी भाषा में लिखी गई थीं, जिसे समझना आसान था। वे लोगों को ज्ञान देने के लिये दोहों में लिखते थे।