हरियाणा में जीनोम-संपादन प्रयोगशाला | 24 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) - भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), हरियाणा में जीनोम-संपादन प्रयोगशाला का उद्घाटन किया।
- ICAR योजना के तहत वित्त पोषित इस प्रयोगशाला का उद्देश्य उन्नत फसल अनुकूलन और समृद्ध अनाज गुणवत्ता के लिये वांछनीय लक्षणों को बढ़ाने के लिये आधुनिक जीनोमिक उपकरणों का लाभ उठाना है।
मुख्य बिंदु
- जलवायु-अनुकूल किस्मों की सराहना:
- किसानों ने जलवायु-प्रतिरोधी गेहूँ की किस्में उपलब्ध कराने के लिये वैज्ञानिकों की सराहना की, जो दिन के समय तापमान में उतार-चढ़ाव को सहन कर सकती हैं, विशेष रूप से फरवरी और मार्च में।
- इन जलवायु प्रतिरोधी गेहूँ किस्मों में करण वंदना (DBW-187), MACS 6478 और पूसा यशस्वी शामिल हैं।
- उन्होंने उत्पादन लागत में कमी पर संतोष व्यक्त किया क्योंकि रोग प्रतिरोधी किस्मों ने कवकनाशक स्प्रे की आवश्यकता को समाप्त कर दिया।
- किसानों ने जलवायु-प्रतिरोधी गेहूँ की किस्में उपलब्ध कराने के लिये वैज्ञानिकों की सराहना की, जो दिन के समय तापमान में उतार-चढ़ाव को सहन कर सकती हैं, विशेष रूप से फरवरी और मार्च में।
- जौ की नई किस्मों में रुचि:
- कुछ किसानों ने भूसी रहित जौ की किस्मों में रुचि दिखाई, विशेष रूप से DWRB-223, जो हाल ही में जारी की गई थी।
- DWRB -223 42.9 क्विंटल/हेक्टेयर की उच्च उपज और 11.7% प्रोटीन प्रदान करती है।
- इसका भूसा-रहित अनाज इसे प्रत्यक्ष उपभोग और स्वास्थ्य खाद्य अनुप्रयोगों के लिये आदर्श बनाता है।
- कुछ किसानों ने भूसी रहित जौ की किस्मों में रुचि दिखाई, विशेष रूप से DWRB-223, जो हाल ही में जारी की गई थी।
- प्रयोगशाला से भूमि तक के दृष्टिकोण पर ज़ोर:
- मंत्री ने 'प्रयोगशाला से भूमि' दृष्टिकोण के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसंधान को ज़मीनी स्तर की खेती से जोड़ने के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
जीनोम संपादन
- जीन एडिटिंग (जिसे जीनोम एडिटिंग भी कहा जाता है) प्रौद्योगिकियों का एक समुच्चय है जो वैज्ञानिकों को एक जीव के डीएनए (DNA) को बदलने की क्षमता उपलब्ध कराता है।
- ये प्रौद्योगिकियाँ जीनोम में विशेष स्थानों पर आनुवंशिक सामग्री को जोड़ने, हटाने या बदलने में सहायक होती हैं।
- उन्नत शोध ने वैज्ञानिकों को अत्यधिक प्रभावी क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड पैलिंड्रोमिक रिपीट (CRISPR) से जुड़े प्रोटीन आधारित सिस्टम विकसित करने में मदद की है। यह प्रणाली जीनोम अनुक्रम में लक्षित हस्तक्षेप को संभव बनाती है।
- इस युक्ति ने पादप प्रजनन में विभिन्न संभावनाओं को उजागर किया है। इस प्रणाली की सहायता से कृषि वैज्ञानिक अब जीन अनुक्रम में विशिष्ट लक्षणों को समाविष्ट कराने हेतु जीनोम को एडिट/संपादित कर सकते हैं।
भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR)
- परिचय:
- IIWBR की स्थापना वर्ष 2014 में गेहूँ अनुसंधान निदेशालय के उन्नयन के बाद की गई थी।
- यह हरियाणा के करनाल में स्थित एक प्रमुख ICAR-संबद्ध संस्थान है।
- यह गेहूँ और जौ में अनुसंधान और विकास के लिये एक राष्ट्रीय केंद्र के रूप में कार्य करता है।
- मुख्य लक्ष्य:
- IIWBR वैज्ञानिक नवाचार और क्षेत्र-स्तरीय हस्तक्षेप के माध्यम से गेहूँ और जौ की उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- संस्थान का उद्देश्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए भारत को गेहूँ उत्पादन में वैश्विक अग्रणी बनाना है।
- प्रमुख गतिविधियाँ:
- यह गेहूँ और जौ पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना का समन्वय करता है।
- इसकी प्रमुख गतिविधियों में शामिल हैं:
- प्रजनन और आनुवंशिकी के माध्यम से विविधता में सुधार।
- दक्षता और स्थिरता बढ़ाने के लिये संसाधन प्रबंधन।
- रोगों और कीटों से निपटने के लिये फसल सुरक्षा रणनीतियाँ।