गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु के पार पहुँचा | 17 Sep 2024

चर्चा में क्यों? 

वाराणसी में गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु पार कर गया है, जिससे वहाँ भीषण बाढ़ आ गई है और क्षेत्र के       4,000 से अधिक निवासी प्रभावित हुए हैं।

  • जलस्तर 70.76 मीटर तक बढ़ गया, जो कि चेतावनी सीमा 70.26 मीटर को पार कर गया; यह 5 सेमी. प्रति घंटे की दर से बढ़ रहा था।

प्रमुख बिंदु

  • निवासियों पर प्रभाव:
    • प्रभावित आबादी: बाढ़ से कुल 4,461 व्यक्ति प्रभावित हुए हैं। ज़िले के कई निचले क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं, जिससे लोगों को आने-जाने के लिये नावों का प्रयोग करना पड़ रहा है।
    • पुनर्वास: कटाव से प्रभावित मोकलपुर के परिवारों को राहत शिविरों में स्थानांतरित कर दिया गया है। इसके अलावा, 299 परिवारों के 1,601 लोग वर्तमान में इन शिविरों में रह रहे हैं।
  • राहत उपाय:
    • बाढ़ राहत शिविर: ज़िला प्रशासन ने 46 बाढ़ राहत शिविर स्थापित किये हैं, जिनमें से 14 वर्तमान में कार्यरत हैं। 
      • इन शिविरों में भोजन, फल, दूध और पीने का जल जैसी आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिये चिकित्सा शिविर भी स्थापित किये गए हैं।
    • बचाव कार्य: बचाव कार्यों के लिये कुल 22 नावें तैनात की गई हैं। 

गंगा नदी प्रणाली

  • गंगा नदी उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से 3,892 मीटर की ऊँचाई पर भागीरथी के रूप में निकलती है। 
  • गंगा नदी के मुख्य स्रोत कई छोटी-छोटी धाराएँ हैं। इनमें अलकनंदा, धौलीगंगा, पिंडर, मंदाकिनी और भीलंगना प्रमुख हैं।
    • देवप्रयाग में जहाँ अलकनंदा भागीरथी से मिलती है, नदी को गंगा नाम मिलता है। यह बंगाल की खाड़ी में सम्मिलित होने से पहले 2525 किलोमीटर की दूरी तय करती है
  • गंगा छह मुख्य धाराओं और उनके पाँच संगमों से बनती है
    • नंदप्रयाग: नंदाकिनी नदी और अलकनंदा नदी का संगम।
    • कर्णप्रयाग: पिंडर नदी और अलकनंदा नदी का संगम।
    • विष्णुप्रयाग: धौलीगंगा नदी और अलकनंदा नदी का संगम।
  • भागीरथी, जिसे मूल धारा माना जाता है, गंगोत्री ग्लेशियर के निचले भाग में गौमुख से निकलती है। अंत में यह बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
  • गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ:
    • दाहिने किनारे की सहायक नदियाँ: यमुना, टोंस, करमनासा, सोन, पुनपुन, फल्गु, किऊल, चंदन, अजॉय, दामोदर, रूपनारायण।
  • गंगा नदी उत्तर प्रदेश के 28 ज़िलों से होकर प्रवाहित होती है, जो बिजनौर ज़िले से होते हुए राज्य में प्रवेश करती है। प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर यमुना में विलीन होने से पहले यह उत्तर प्रदेश में लगभग 1140 किलोमीटर की दूरी तय करती है।