राजस्थान
राजस्थान में कथित सामूहिक धर्मांतरण के प्रयास के आरोप में ईसाई धर्म प्रचारक गिरफ्तार
- 14 Feb 2024
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान में एक घटना घटी, जहाँ कथित तौर पर पैसे और उपचार देकर सैकड़ों लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश करने के आरोप में दो प्रचारकों को गिरफ्तार किया गया तथा आठ अन्य को हिरासत में लिया गया।
मुख्य बिंदु:
- यह घटना भरतपुर की है, जहाँ प्रचारकों ने 450-500 व्यक्तियों के साथ बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किया था।
- विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने दावा किया कि प्रचारकों ने हिंदू देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया और लोगों को गुमराह किया।
- पुलिस ने दो प्रचारकों को गिरफ्तार कर लिया, उनकी पहचान की और उनके खिलाफ शत्रुता को बढ़ावा देने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने तथा चोट पहुँचाने के लिये भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
- पुलिस ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 151 के निवारक उपायों के तहत आठ अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया और बाद में ज़मानत पर रिहा कर दिया।
निवारक निरोध
- निवारक निरोध का अर्थ है किसी व्यक्ति को न्यायालय द्वारा परीक्षण और दोषसिद्धि के बिना हिरासत में रखना।
- इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को पिछले अपराध के लिये दंडित करना नहीं है बल्कि उसे निकट भविष्य में अपराध करने से रोकना है।
- किसी व्यक्ति की हिरासत तीन महीने से अधिक नहीं हो सकती जब तक कि सलाहकार बोर्ड विस्तारित हिरासत के लिये पर्याप्त कारण की रिपोर्ट नहीं करता।
- सुरक्षा:
- अनुच्छेद 22 गिरफ्तार किये गये या हिरासत में लिये गए व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 22 के दो भाग हैं- पहला भाग सामान्य कानून के मामलों से संबंधित है और दूसरा भाग निवारक निरोध कानून के मामलों से संबंधित है।
- अनुच्छेद 22 गिरफ्तार किये गये या हिरासत में लिये गए व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करता है।
धर्म की स्वतंत्रता
- भारत में धार्मिक स्वतंत्रता भारत के संविधान के अनुच्छेद 25-28 द्वारा गारंटीकृत एक मौलिक अधिकार है।
- अनुच्छेद 25 (अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म का स्वतंत्र व्यवसाय, अभ्यास एवं प्रचार)।
- अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता)।
- अनुच्छेद 27 (किसी भी धर्म के प्रचार के लिये करों के भुगतान की स्वतंत्रता)।
- अनुच्छेद 28 (कुछ शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक पूजा में उपस्थिति के संबंध में स्वतंत्रता)।