छत्तीसगढ़
नक्सलवाद का अंत
- 25 Feb 2025
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चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमन डेका ने घोषणा की कि राज्य में नक्सलवाद समाप्ति के कगार पर है।
मुख्य बिंदु
- माओवाद उन्मूलन के लिये सरकार की रणनीति:
- बजट सत्र के पहले दिन छत्तीसगढ़ विधानसभा को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सरकार की रणनीतिक सोच, सुरक्षा बलों की बहादुरी और जनता के सहयोग के कारण छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद समाप्ति की ओर है।
- सरकार ने क्षेत्र पर नियंत्रण के प्रयास तेज़ कर दिये हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले 14 महीनों में 300 से अधिक नक्सलियों का सफाया हो गया है।
- इसके अतिरिक्त, 972 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि सुरक्षा बलों ने 1,183 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है।
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उपलब्धियाँ:
- पहली बार माओवाद प्रभावित 26 गाँवों में ध्वजारोहण समारोह आयोजित किया गया।
- सुकमा के पेंटाचिमाली, केरलापेन्डा, दुलेड़, सुन्नम गुडा और पुवर्ती सहित कई गाँवों ने पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भाग लिया।
- दंतेवाड़ा ज़िले के पोटाली गाँव में 19 वर्षों के बाद स्वास्थ्य केंद्र का संचालन फिर से शुरू हुआ।
- अन्य विकासात्मक उपाय:
- राज्यपाल के 59-सूत्रीय संबोधन में निम्नलिखित प्रमुख पहल शामिल थीं:
- गरीबों के लिये आवास योजना का कार्यान्वयन।
- वनोपज संग्रहण कार्यक्रमों का विस्तार।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये औद्योगीकरण को बढ़ावा देना।
- राज्यपाल के 59-सूत्रीय संबोधन में निम्नलिखित प्रमुख पहल शामिल थीं:
नक्सलवाद
- परिचय:
- नक्सलवाद शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई है।
- इसकी शुरुआत स्थानीय जमींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिन्होंने भूमि विवाद को लेकर एक किसान की पिटाई की थी।
- यह आंदोलन जल्द ही पूर्वी भारत के छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे अल्प विकसित क्षेत्रों में फैल गया।
- वामपंथी उग्रवादियों (LWE) को दुनिया भर में माओवादी और भारत में नक्सलवादी के नाम से जाना जाता है।
- उद्देश्य:
- वे सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत सरकार को उखाड़ फेंकने और माओवादी सिद्धांतों पर आधारित साम्यवादी राज्य की स्थापना की वकालत करते हैं।
- वे राज्य को दमनकारी, शोषक और शासक अभिजात वर्ग के हितों की सेवा करने वाला मानते हैं तथा सशस्त्र संघर्ष और जनयुद्ध के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक शिकायतों को दूर करना चाहते हैं।