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बिहार

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25

  • 04 Mar 2025
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

बिहार के वित्त मंत्री द्वारा 28 फरवरी 2025 को विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 प्रस्तुत किया गया। 

  • यह राज्य का 19वाँ आर्थिक सर्वेक्षण है, जिसमें बिहार की अर्थव्यवस्था की स्थिति और विकास की दिशा को लेकर विस्तार से चर्चा की गई है। 

मुख्य बिंदु 

  • आर्थिक वृद्धि दर
    • अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में बिहार देश में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले राज्यों में दूसरे स्थान पर है।
    • वित्तीय वर्ष 2023-24 में बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वर्तमान मूल्य पर 8,54,429 करोड़ रुपए और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 4,64,540 करोड़ रुपए अनुमानित है।
    • वित्तीय वर्ष 2023-24 में GSDP में 14.5% की वृद्धि (वर्तमान मूल्य पर) और 9.2% की वृद्धि (स्थिर मूल्य पर) दर्ज की गई।

      प्रतिव्यक्ति आय वित्तीय वर्ष  2023-24 में स्थिर मूल्य पर 36,333 रुपए  और वर्तमान मूल्य पर 66,828 रुपए हो गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है।

    • बिहार में पटना सबसे अमीर ज़िला और शिवहर सबसे गरीब ज़िला है। 
  • राजकोषीय घाटा 
    • राजकोषीय घाटा वित्तीय वर्ष 2022-23 में 44,823 करोड़ रुपए था, जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में घटकर 35,660 करोड़ रुपए रह गया।

      •  वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह ₹29,095 करोड़ होने का अनुमान है।

    • राजस्व बचत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2,833 करोड़ रुपए रही जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1,121 करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है। 

    • राज्य का कुल व्यय वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2.52 लाख करोड़ रुपए था, जो वित्तीय वर्ष 2024-25 में बढ़कर 2.79 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।.

    • विकास मूलक व्यय 1.69 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 1.77 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।

  • कृषि और औद्योगिक क्षेत्र

    • चावल के उत्पादन में 21% और गेहूँ के उत्पादन में 10.7% की वृद्धि हुई।

    • पशु धन और मत्स्य में 9.50 प्रतिशत की दर से इजाफा हुआ है।
    • सात उत्पादों के लिये बिहार सरकार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति का क्रियान्वयन कर रही है। ये उत्पाद मखाना, फल, सब्जियाँ, मक्का, औषधीय पौधे, शहद और चाय हैं।
    • बिहार के औद्योगिक सेक्टर में 75293.76 करोड़ के निवेश प्रस्तावित।
    • बिहार के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र (तृतीयक क्षेत्र) का सबसे अधिक 58.6% योगदान रहा। इसके बाद, उद्योग (द्वितीयक क्षेत्र) का 21.5% और कृषि (प्राथमिक क्षेत्र) का 19.9% योगदान रहा है।
    • सूक्ष्म उद्यमों में निवेश 135 प्रतिशत बढ़ा है जबकि रोज़गार 107 प्रतिशत बढ़ा है। बृहद इकाइयों में निवेश की रकम 131 प्रतिशत बढ़ा, जबकि रोज़गार 187 प्रतिशत।
    • बिहार के खनन क्षेत्र में भी 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 
  • सड़क और बुनियादी ढाँचा
    • वर्ष 2005-2025 के दौरान ग्रामीण पक्की सड़कें 835 किलोमीटर से बढ़कर 1.17 लाख किलोमीटर हो गई हैं।
    • नए द्रुतमार्गों और राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण से राज्य में यातायात व्यवस्था का विस्तार हो रहा है।
    • उत्तर प्रदेश (10.1 प्रतिशत) और कर्नाटक (7.7 प्रतिशत) के बाद बिहार ने 2011-24 के दौरान परिवहन और संचार क्षेत्र में तीसरी सबसे अधिक वृद्धि (7.6 प्रतिशत) दर्ज की।
    • बिहार में रोड का घनत्व प्रति हज़ार किलोमीटर वर्ग किमी 3167 है। रोड घनत्व के मामले में बिहार तीसरे नंबर पर है।
  •  डिजिटल प्रशासन और ऊर्जा क्षेत्र
    • सरकार ने ई-प्रशासन को बढ़ावा देते हुए CCTNS, CFMS, साइबर सेल, ई-चालान जैसी तकनीकों को अपनाया।
    • ऊर्जा की प्रति व्यक्ति खपत 134 किलोवाट-घंटे (2012-13) से बढ़कर 363 किलोवाट-घंटे (2023-24) हो गई।
    • बिजली खपत में टॉप पाँच ज़िलों  में क्रमशः पटना, गया, मुज़फ्फरपुर, रोहतास और नालंदा शामिल हैं 
    • जलापूर्ति विद्युत गैस कनेक्शन जैसे जन उपयोगी सेवाओं में 14.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • महिला सशक्तीकरण 
    • 1,063.5 हज़ार स्वयं सहायता समूह (SHG) गठित किये गए।
    • 2,198.4 हज़ार SHG को ₹46.9 हज़ार करोड़ का संचित ऋण प्रदान कर महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया गया।
    • वित्तीय वर्ष 2024-25 तक कुल जमा राशि ₹5.27 लाख करोड़ थी, जिसमें से ₹2.97 लाख करोड़ ऋण के रूप में वितरित किया गया और ऋण-जमा अनुपात 56.3% रहा।
    • वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2023-24 तक महिला श्रमशक्ति सहभागिता दर में सुधार हुआ है। ग्रामीण महिलाओं में यह दर 24.8% से बढ़कर 33.5% हो गई और शहरी महिलाओं में यह 13.8% से बढ़कर 18% हो गई।
    • बिहार में पुरुषों और महिलाओं का श्रमिक सहभागिता अनुपात पूरे भारत के औसत से कम है।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र 
    • विगत 18 वर्षों में शिक्षा पर खर्च 10 गुना, स्वास्थ्य पर 13 गुना और सामाजिक सेवाओं पर 13 गुना बढ़ा।  
    • बाल कल्याण बजट वर्ष 2013-14 से शुरू किया गया और 2016-23 के बीच इसमें 19.4% वार्षिक वृद्धि हुई।
    • पाँच वर्षों में सरकारी माध्यमिक स्कूलों की छीजन दर में 62.25 % की गिरावट दर्ज।
  •  पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर विशेष ध्यान
    • हरित बजट और जल-जीवन-हरियाली मिशन जैसी योजनाओं को लागू कर राज्य में जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयास किये गए हैं।
    • राज्य में 12 साल में वनाच्छादन में हुई 687 वर्ग किमी की बढ़ोतरी हुई है। 

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