हरियाणा में लिंगानुपात में गिरावट | 06 Jan 2024

चर्चा में क्यों?

हरियाणा के 22 में से 9 ज़िलों में जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) में गिरावट दर्ज की गई है। हालाँकि राज्य का समग्र जन्म के समय लिंगानुपात 916 पर स्थिर रहा (राष्ट्रीय SRB 933 है)।

  • दूसरी ओर, गुड़गाँव में वर्ष 2022 में 925 से बढ़कर वर्ष 2023 में 928 हो गया है।

मुख्य बिंदु:

  • उत्तरी और मध्य ज़िलों जैसे कि सिरसा, फतेहाबाद, सोनीपत, यमुनानगर, हिसार, भिवानी, रोहतक, जिंद और चरखी दादरी में जन्म लेने वाली लड़कियों की संख्या में गिरावट देखी गई।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के बाद से हरियाणा में लड़के और लड़कियों के बीच का अंतर चिंता का कारण रहा है। राज्य का जन्म के समय लिंगानुपात 834 है जो देश में सबसे कम है, जिसके कारण राज्य ने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।
    • वर्ष 2015 में सामाजिक परिवर्तन लाने के लिये केंद्र सरकार के सहयोग से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान शुरू किया गया था।
    • वर्ष 2015 में जन्म के समय राज्य का लिंगानुपात 876 से बढ़कर वर्ष 2016 में 900 हो गया, इसके बाद वर्ष 2017 में 914 हो गया था।
    • वर्ष 2018 में यह वही रहा लेकिन 2019 में सुधरकर 923 हो गया।
    • उसके बाद, वर्ष 2020 में 922 से वर्ष 2021 में फिर से 914 तक गिरावट देखी गई।
    • वर्ष 2022में 916 पर थोड़ा सुधार दिखा, जो वर्ष 2023 में भी उसी अंक पर बना रहा।
  • अधिकारियों के अनुसार गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PC-PNDT) अधिनियम, 1994 के तहत कुल 17 मामले दर्ज किये गए थे।
    • पिछले पाँच वर्षों में राज्य में लिंग परीक्षण करने वाले क्लीनिकों पर लगभग 2,387 छापे मारे गए। इनमें से 487 छापे दूसरे राज्यों में थे।
    • पूरे हरियाणा में लिंग निर्धारण और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी किट के इस्तेमाल के लिये कुल 1,376 प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) भी दर्ज की गईं।
  • सरकार को PCPNDT एक्ट को और मज़बूत करने की ज़रूरत है, साथ ही अवैध गर्भपात के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिये।
  • जागरूकता अभियान चलाना ज़रूरी है। ऐसे कार्यक्रमों का संचालन करना एवं नियमित अंतराल पर हुई प्रगति की निगरानी करना महत्त्वपूर्ण हैं।