छत्तीसगढ़ में खनन हेतु वनों की कटाई | 26 Jul 2024

चर्चा में क्यों?

केंद्र के अनुसार वन्यजीव और जैवविविधता संस्थाओं ने संबद्ध क्षेत्र में खनन गतिविधियों को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने की सिफारिश नहीं की जिसके चलते हसदेव अरण्य वनों में खनन गतिविधियों के लिये लगभग 273,000 अतिरिक्त वृक्षों को काटे जाने की आशंका है।

प्रमुख बिंदु 

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने देश के दो सबसे विवादास्पद पर्यावरणीय मुद्दों पर जानकारी प्रदान की जिसमें छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य में वनों की कटाई तथा नीति आयोग की अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह परियोजना में ग्रेट निकोबार द्वीप का समग्र विकास शामिल हैं।
  • छत्तीसगढ़ सरकार ने भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून को संपूर्ण हसदेव-अरण्य कोलफील्ड्स क्षेत्र का जैवविविधता मूल्यांकन अध्ययन करने के लिये नियुक्त किया था।
    • अध्ययन किया गया और तत्पश्चात् पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी गई
    • रिपोर्ट के अनुसार, परसा ईस्ट केते बासेन खदान हेतु 94,460 वृक्ष काटे गए जबकि प्रतिपूरक वनीकरण, खदान सुधार और स्थानांतरण के रूप में 5.3 मिलियन से अधिक वृक्षों का रोपण किया गया
    • छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, हसदेव अरण्य में आगामी वर्षों में खनन के लिये 273,757 वृक्षों की कटाई की जानी है।
  • हसदेव अरण्य मध्य भारत में सर्वाधिक सघन वनों के सबसे बड़े सन्निहित विस्तारों में से एक है, जो 170,000 हेक्टेयर में विस्तृत है और इसमें 23 कोयला ब्लॉक हैं
    • वर्ष 2009 में, पर्यावरण मंत्रालय ने हसदेव अरण्य को इसके समृद्ध वन क्षेत्र के कारण खनन के लिये “नो-गो” ज़ोन के रूप में वर्गीकृत किया था किंतु यहाँ खनन की पुनः अनुमति दे दी गई क्योंकि इसमें किसी नीति को अंतिम रूप नहीं दिया गया था

हसदेव अरण्य वन

  • छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में विस्तृत हसदेव अरण्य वन अपनी जैवविविधता और कोयला निक्षेपों के लिये जाना जाता है।
  • यह वन कोरबा, सुजापुर और सरगुजा ज़िलों के अंतर्गत आता है जहाँ जनजातीय जनसंख्या काफी अधिक है।
  • महानदी की सहायक नदी हसदेव नदी यहाँ से होकर प्रवाहित होती है।
  • हसदेव अरंड मध्य भारत का सबसे बड़ा अक्षुण्ण वन है, जिसमें प्राचीन साल (शोरिया रोबस्टा) और सागौन के वन शामिल हैं।
  • इसकी भूमिका प्रवासी गलियारे के रूप में प्रसिद्ध है और यहाँ महत्त्वपूर्ण संख्या में हाथी पाए जाते हैं।