गुरुग्राम की ग्रीन बेल्ट में मलबा | 21 Nov 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गुरुग्राम नगर निगम (MCG) को गुड़गाँव-फरीदाबाद राजमार्ग से कचरा और मलबा अरावली वन में बालीवास गाँव की पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील ग्रीन बेल्ट में फेंकने के लिये आलोचना का सामना करना पड़ा।

मुख्य बिंदु

  • ग्रीन बेल्ट का महत्त्व:
    • यह ग्रीन बेल्ट भूजल पुनर्भरण, कृषि, मनोरंजन के लिये महत्त्वपूर्ण है तथा यहां देवता मंदिर की प्रतिष्ठित पहाड़ी भी स्थित है, जिसके कारण स्थानीय स्तर पर इसका विरोध बढ़ रहा है।
    • पर्यावरणविद रेगिस्तानीकरण को रोकने और अरावली वन पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में इस क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डालते हैं।
  • चिंताएँ:
    • बलियावास निवासियों को बंधवाड़ी अपशिष्ट डंप और नए डंपिंग स्थल के बीच फँसने का डर है।
    • पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि लगातार डंपिंग से अपरिवर्तनीय पारिस्थितिक क्षति हो सकती है, जिससे मृदा की गुणवत्ता, जैव विविधता और भूजल पुनर्भरण पर प्रभाव पड़ सकता है।
  • सरकारी एवं प्रशासनिक प्रतिक्रिया:
    • हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) ने साइट का निरीक्षण करने की योजना बनाई है, जिससे सख्त प्रवर्तन की आशा बढ़ गई है।
    • MCG आयुक्त ने कार्रवाई का वादा किया, स्थिति का आकलन करने के लिये एक समर्पित टीम का गठन किया तथा ग्रीन बेल्ट की रक्षा के लिये उल्लंघनकर्त्ताओं के विरुद्ध सख्त कदम उठाने की सिफारिश की।

अरावली

  • परिचय: 
    • अरावली पर्वतमाला गुजरात से राजस्थान होते हुए दिल्ली तक विस्तृत है, इसकी लंबाई 692 किमी. तथा चौड़ाई 10 से 120 किमी. के बीच है।
      • यह शृंखला एक प्राकृतिक हरित दीवार के रूप में कार्य करती है, जिसका 80% भाग राजस्थान में तथा 20% हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में स्थित है।
    • अरावली पर्वतमाला दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित है- सांभर सिरोही श्रेणी और सांभर खेतड़ी श्रेणी, जो राजस्थान में स्थित है, जहाँ इनका विस्तार लगभग 560 किलोमीटर है।
    • यह थार रेगिस्तान और गंगा के मैदान के बीच एक इकोटोन के रूप में कार्य करता है।
      • इकोटोन वे क्षेत्र हैं जहाँ दो या अधिक पारिस्थितिक तंत्र, जैविक समुदाय या जैविक क्षेत्र मिलते हैं।
    • इस पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर (राजस्थान) है, जिसकी ऊँचाई 1,722 मीटर है।
  • अरावली का महत्त्व:
    • अरावली पर्वतमाला थार रेगिस्तान को सिंधु-गंगा के मैदानों पर अतिक्रमण करने से रोकती है, जो ऐतिहासिक रूप से नदियों और मैदानों के लिये जलग्रहण क्षेत्र के रूप में कार्य करती है।
    • इस क्षेत्र में 300 देशी पौधों की प्रजातियाँ, 120 पक्षी प्रजातियाँ तथा सियार और नेवले जैसे विशिष्ट पशु मौजूद हैं।
    • मानसून के दौरान, अरावली पहाड़ियाँ मानसून के बादलों को पूर्व की ओर निर्देशित करती हैं, जिससे उप-हिमालयी नदियों और उत्तर भारतीय मैदानों को लाभ होता है। सर्दियों में, वे उपजाऊ घाटियों को शीत पश्चिमी पवनों से बचाते हैं।
    • यह रेंज वर्षा जल को अवशोषित करके भूजल पुनःपूर्ति में सहायता करती है, जिससे भूजल स्तर पुनर्जीवित होता है।
    • अरावली दिल्ली-NCR के लिये "फेफड़ों" के रूप में कार्य करती है, जो क्षेत्र के गंभीर वायु प्रदूषण के कुछ प्रभावों को निम्न करती है।