कोडो मिलेट के ज़हर से हाथियों की मौत | 05 Nov 2024

 चर्चा में क्यों? 

हाल ही में मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में दस हाथियों की संदिग्ध कोडो मिलेट विषाक्तता के कारण मृत्यु हो गई। कोडो मिलेट एक ऐसा अनाज है जो विशेष पर्यावरणीय परिस्थितियों में विषाक्तता उत्पन्न कर सकता है।

मुख्य बिंदु 

  • कोडो मिलेट के बारे में: 
    • कोडो मिलेट जिसे पास्पलम स्क्रोबिकुलैटम (Paspalum scrobiculatum) के नाम से जाना जाता है, एक लचीली, सूखा-सहिष्णु फसल है जिसमें उच्च उपज और उत्कृष्ट भंडारण क्षमता है, जो अक्सर भारत में आदिवासी और आर्थिक रूप से वंचित समुदायों के लिये मुख्य भोजन के रूप में काम आती है।
    • भारत, विशेषकर मध्य प्रदेश, इसका सबसे बड़ा उत्पादक है।
    • मध्य प्रदेश के अलावा बाजरे की खेती गुजरात, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में की जाती है।
  • कोडो मिलेट की विषाक्तता: 
    • मिलेट (बाजरा), खास तौर पर कोडो मिलेट, एर्गोट जैसे फंगल संक्रमणों से ग्रस्त होता है, जो विषाक्त पदार्थ उत्पन्न कर सकता है जो अनाज की उपज को नुकसान पहुँचाता है और खाने पर विषाक्तता उत्पन्न करता है। ये संक्रमण विशेष रूप से आर्द्र परिस्थितियों में नुकसानदायक होते हैं।
    • विषाक्तता तब उत्पन्न होती है जब पर्यावरणीय परिस्थितियां कवक की वृद्धि को बढ़ावा देती हैं, जिससे माइकोटॉक्सिन साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड (CPA) उत्पन्न होता है।
    • CPA तंत्रिका और हृदय प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे पशुओं में उल्टी, कम्पन और हाथ-पैर ठंडे होने जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।
  • कोडो विषाक्तता के ऐतिहासिक मामले: 
    • दस्तावेज़ में दर्ज मामले 1922 के हैं, जिनमें माइकोटॉक्सिन युक्त बाजरे से मनुष्य और पशु दोनों प्रभावित हुए थे।
    • कोडो मिलेट के ज़हर के कारण समय-समय पर वन्यजीवों की मौत हो रही है, जिसमें वर्ष 2022 में एक हाथी की मौत भी शामिल है।
  • जाँच एवं रोकथाम: 
    • पता लगाने के लिये क्रोमैटोग्राफी जैसे रासायनिक विश्लेषण या एलिसा (ELISA) जैसी तीव्र विधियों की आवश्यकता होती है ।
    • संदूषण को रोकने के लिये, विशेषज्ञ उचित भंडारण और जैव नियंत्रण विधियों की सलाह देते हैं, जिसमें लाभकारी जीव शामिल होते हैं जो फंगल प्रसार को सीमित करते हैं।

मिलेट (बाजरा)

  • परिचय:
    • यह एक सामूहिक शब्द है जो अनेक छोटे बीज वाली वार्षिक घासों को संदर्भित करता है, जिनकी खेती अनाज की फसलों के रूप में, मुख्य रूप से समशीतोष्ण, उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के शुष्क क्षेत्रों की सीमांत भूमि पर की जाती है।
    • भारत में उपलब्ध कुछ सामान्य मोटे अनाज हैं रागी (फिंगर मिलेट), ज्वार (सोरघम), समा (लिटिल मिलेट), बाजरा (पर्ल मिलेट) और वरिगा (प्रोसो मिलेट)।
    • इन अनाजों के सबसे पुराने साक्ष्य सिंधु सभ्यता में पाए गए हैं और ये भोजन के लिये पालतू बनाए गए पहले पौधों में से एक थे।
    • यह लगभग 131 देशों में उगाया जाता है और एशिया और अफ्रीका में लगभग 60 करोड़ लोगों का पारंपरिक भोजन है।
    • भारत विश्व में बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है।
    • यह वैश्विक उत्पादन का 20% तथा एशिया के उत्पादन का 80% है।
  • वैश्विक वितरण:
    • भारत, नाइजीरिया और चीन विश्व में बाजरे के सबसे बड़े उत्पादक हैं, जिनका वैश्विक उत्पादन में 55% से अधिक का योगदान है।
    • भारत कई वर्षों तक बाजरे का मुख्य उत्पादक रहा है। हालाँकि, हाल के समय में अफ्रीका में बाजरे के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।