संभल में हिरासत में मृत्यु | 22 Jan 2025

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई, जिसके बाद उसके परिवार और स्थानीय लोगों ने हिरासत में यातना का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। 

मुख्य बिंदु

  • घटना: परिचय 
    • पुलिस ने जहाँ इसकी वजह दिल का दौरा पड़ने की संभावना जताई, वहीं पीड़ित के परिवार और स्थानीय लोगों ने चौकी पर विरोध प्रदर्शन किया, जिससे अधिकारियों को मॉब लिंचिंग (भीड़ के हमले) से बचने के लिये वहाँ से भागना पड़ा।
    • बाद में, रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) के जवानों ने क्षेत्र में बल तैनात करके व्यवस्था बहाल की।
  • हिरासत में यातना
    • परिचय: 
    • हिरासत में यातना का अर्थ है किसी व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक पीड़ा या कष्ट देना, जो पुलिस या अन्य प्राधिकारियों की हिरासत में हो।
    • यह मानव अधिकारों और गरिमा का गंभीर उल्लंघन है और इसके परिणामस्वरूप अक्सर हिरासत में मृत्यु होती हैं, जो तब होती हैं जब कोई व्यक्ति हिरासत में होता है।
    • हिरासत में मृत्यु के प्रकार:
      • पुलिस हिरासत में मृत्यु:
        • पुलिस हिरासत में मृत्यु अत्यधिक बल प्रयोग, यातना, चिकित्सा देखभाल से इनकार या अन्य प्रकार के दुर्व्यवहार के कारण हो सकती है।
      • न्यायिक हिरासत में मृत्यु:
        • न्यायिक हिरासत में मृत्यु भीड़भाड़, खराब स्वच्छता, चिकित्सा सुविधाओं की कमी, कैदी हिंसा या आत्महत्या के कारण हो सकती है।
      • सेना या अर्द्धसैनिक बलों की हिरासत में मृत्यु :
        • यह अत्याचार, न्यायेतर हत्या, मुठभेड़ या गोलीबारी की घटनाओं के माध्यम से हो सकता है।
    • भारत में हिरासत में यातना रोकने में चुनौतियाँ:
      • यातना एवं अन्य क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक उपचार या दंड के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCAT) के अनुसमर्थन का अभाव, जिस पर भारत ने 1997 में हस्ताक्षर किये थे, लेकिन अभी तक इसका अनुसमर्थन नहीं किया है।
        • यह भारत को हिरासत में यातना को रोकने और उससे निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों और मानकों से बंधे रहने से रोकता है।

मानव अधिकारों के लिये अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

  • अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, 1948:
    • अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून में एक प्रावधान है जो लोगों को यातना और अन्य ज़बरन गायब किये जाने से बचाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर, 1945:
    • संयुक्त राष्ट्र चार्टर में कैदियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है। चार्टर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कैदी होने के बावजूद, उनके मौलिक स्वतंत्रताएँ और मानव अधिकार सार्वभौमिक मानव अधिकारों की घोषणा, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक और राजनीतिक अधिकारों के संधि तथा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के संधि में निर्धारित हैं।
  • नेल्सन मंडेला नियम, 2015:
    • नेल्सन मंडेला नियमों को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2015 में अपनाया गया था ताकि कैदियों के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार किया जा सके तथा यातना और अन्य दुर्व्यवहार पर रोक लगाई जा सके।