मध्य प्रदेश
गिद्धों की गणना
- 26 Feb 2025
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश में गिद्धों की संख्या और उनकी स्थिति का आकलन करने के लिये गिद्ध गणना 17 फरवरी 2025 से प्रारंभ हुई।
मुख्य बिंदु
- गणना के बारे में:
- यह गणना दो चरणों में की जाएगी। गिद्दों के आंकलन की गणना वर्ष में दो बार की जाती है।
- आधिकारिक जानकारी के अनुसार शीतकालीन गिद्ध गणना 17, 18 एवं 19 फरवरी को की गई और ग्रीष्मकालीन गिद्ध गणना 29 अप्रैल 2025 को की जाएगी।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम:
- 2024-25 के लिये 11 मास्टर ट्रेनरों द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- भागीदार:
- प्रशिक्षण में 900 से अधिक वन अधिकारी-कर्मचारियों, गिद्ध विशेषज्ञों और पक्षी पक्षी विशेषज्ञों ने भाग लिया।
- उद्देश्य:
- गिद्धों की संख्या का आंकलन और उनकी स्थिति का अध्ययन करना।
- शीतकालीन गिद्ध गणना
- मंदसौर ज़िले के गांधीसागर अभयारण्य (GSWLS) में तीन दिवसीय शीतकालीन गिद्ध गणना प्रारंभ हो गई है।
- राज्य वन विभाग के अनुसार, राज्य में कुल 12,981 गिद्ध पाए गए।
- ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
- मध्य प्रदेश में गिद्धों की गणना पहली बार वर्ष 2016 में हुई थी, जब राज्य में 6,999 गिद्ध थे।
- इसके बाद वर्ष 2018, 2019, 2021, 2024 और 2025 में भी गणना की गई है।
गिद्धों के बारे में:
- परिचय
- गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे मृत जीवों को खाते हैं।
- ये प्राकृतिक सफाईकर्मी (Scavenger) के रूप में कार्य करते हैं।
- ये मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहते हैं।
- भारत, गिद्धों की 9 प्रजातियों जैसे ओरिएंटल व्हाइट-बैक्ड, लॉन्ग-बिल्ड, स्लेंडर-बिल्ड, हिमालयन, रेड-हेडेड, इज़िप्शियन, बियर्डेड, सिनेरियस और यूरेशियन ग्रिफाॅन का निवास स्थान है।
- इन 9 प्रजातियों में से अधिकांश के विलुप्त होने का खतरा है।
- प्रजनन और जीवन चक्र
- गिद्ध साल में एक ही बार अंडे देते हैं और यह प्रक्रिया चट्टानों या ऊँचे पेड़ों पर होती है। गिद्ध का जीवनकाल औसतन 15 से 30 वर्ष तक होता है।
- संख्या में कमी
- इनकी संख्या में कमी का मुख्य कारण 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में पशुओं के उपचार में दर्द निवारक दवा डाईक्लोफेनाक का व्यापक उपयोग था।
- इसके परिणामस्वरूप कुछ क्षेत्रों में आबादी में 97% से अधिक की कमी देखी गई, जिससे पारिस्थितिक संकट उत्पन्न हुआ।
- इनकी संख्या में कमी का मुख्य कारण 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में पशुओं के उपचार में दर्द निवारक दवा डाईक्लोफेनाक का व्यापक उपयोग था।
- गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य
- गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य, उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश (मंदसौर और नीमच ज़िलों) में राजस्थान की सीमा के पास स्थित है।
- इसे वर्ष 1974 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया।
- चंबल नदी, गांधीसागर अभयारण्य से होकर बहती है और इसे दो भागों में विभाजित करती है।
- गांधीसागर अभयारण्य गिद्धों के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक आश्रय स्थल है। यहाँ की जैवविविधता, ऊँची चट्टानें और भोजन की उपलब्धता गिद्धों के जीवन के लिये आदर्श वातावरण प्रदान करती हैं।