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छत्तीसगढ़

शारीरिक दंड

  • 05 Aug 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक छात्र को आत्महत्या के लिये उकसाने की आरोपी एक महिला शिक्षक की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अनुशासन या शिक्षा के नाम पर स्कूल में किसी बच्चे को शारीरिक दंड देना क्रूरता है।

मुख्य बिंदु

न्यायालय के अनुसार, बच्चे को शारीरिक दंड देना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत उसके जीवन के अधिकार के अनुरूप नहीं है। छोटा होना किसी बच्चे को वयस्क से कमतर/छोटा नहीं बनाता।

शारीरिक दंड

  • परिचय:
    • बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समिति द्वारा शारीरिक दंड को परिभाषित किया गया है, "कोई भी दंड जिसमें शारीरिक बल का उपयोग किया जाता है और बच्चों के लिये कुछ हद तक दर्द अथवा परेशानी उत्पन्न करने का इरादा होता है, चाहे वह दंड कितना भी सरल क्यों न हो।"
      • समिति के अनुसार, इसमें ज़्यादातर बच्चों को हाथ या डंडे, बेल्ट आदि से मारना (पीटना, थप्पड़ मारना) सम्मिलित है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, शारीरिक या शारीरिक दंड वैश्विक स्तर पर घरों तथा स्कूलों दोनों में अत्यधिक प्रचलित है।
      • 2 वर्ष से 14 वर्ष की आयु के लगभग 60% बच्चे नियमित रूप से अपने माता-पिता या अन्य देखभाल करने वालों द्वारा शारीरिक रूप से दंडित किये जाते हैं।
    • भारत में बच्चों के लिये 'शारीरिक दंड' की कोई वैधानिक परिभाषा नहीं है।
  • शारीरिक दंड के प्रकार:
    • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा परिभाषित शारीरिक दंड में कोई भी ऐसा कार्य शामिल है जो किसी बच्चे को दर्द, चोट या हानि पहुँचाता है।
      • इसमें बच्चों को असुविधाजनक स्थिति में खड़ा करना शामिल है, जैसे बेंच पर खड़ा होना, दीवार के सहारे कुर्सी की तरह खड़ा होना या सिर पर स्कूल बैग रखना।
      • इसमें पैरों में हाथ डालकर कान पकड़ना, घुटनों के बल बैठना, जबरन पदार्थ खिलाना एवं बच्चों को स्कूल परिसर के भीतर बंद स्थानों तक सीमित रखना जैसी प्रथाएँ भी शामिल हैं।
    • मानसिक उत्पीड़न का संबंध गैर-शारीरिक दुर्व्यवहार से है जो बच्चों के शैक्षणिक और मनोवैज्ञानिक कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
      • दंड के इस रूप में व्यंग्य, अपशब्दों तथा अपमानजनक भाषा का उपयोग करके डाँटना, डराना और अपमानजनक टिप्पणियों का उपयोग जैसे व्यवहार शामिल हैं।
      • इसमें बच्चे का उपहास करना, उसका अपमान करना या उसे लज्जित करना, भावनात्मक कष्ट और समस्याग्रस्त वातावरण निर्मित करना जैसे कार्य भी शामिल हैं।

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