राजस्थान
सर्कुलरिटी के लिये शहरों का गठबंधन (C-3)
- 08 Mar 2025
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री ने सर्कुलरिटी के लिये शहरों का गठबंधन (C-3) की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- गठबंधन (C-3) के बारे में:
- यह सतत् शहरी विकास के लिये शहर-दर-शहर सहयोग, ज्ञान-साझाकरण और निजी क्षेत्र की साझेदारी के लिये एक बहुराष्ट्रीय गठबंधन है।
- इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र के नगरों को अपशिष्ट प्रबंधन एवं संसाधन दक्षता से जुड़ी चुनौतियों के समाधान में सहयोग प्रदान करना है।
- भारत के प्रधानमंत्री ने C-3 गठबंधन की संरचना एवं परिचालन रूपरेखा को अंतिम रूप देने हेतु सदस्य देशों के एक कार्य समूह के गठन का प्रस्ताव रखा, जिससे इस पहल को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जा सके।
- घोषणा:
- इसकी घोषणा जयपुर में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 12 वें क्षेत्रीय 3R और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम के के दौरान की गई थी।
- जयपुर में आयोजित उद्घाटन समारोह में CITIIS 2.0 के लिये एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गये, जो शहरी स्थिरता पहलों में एक उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में स्थापित होगा।
- इस पहल के तहत सिटी इन्वेस्टमेंट्स टू इनोवेट, इंटीग्रेट एंड सस्टेन 2.0 (CITIIS 2.0) के लिये 1,800 करोड़ रुपए के समझौतों की घोषणा की गई, जिससे 14 राज्यों के 18 नगरों को लाभ मिलेगा।
- 12वीं क्षेत्रीय फोरम बैठक
- यह एक क्षेत्रीय मंच है जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 3R (Reduce, Reuse, Recycle) सिद्धांतों और सर्कुलर अर्थव्यवस्था की प्रक्रियाओं को बढ़ावा देता है।
- यह संसाधन दक्षता रणनीतियों को आगे बढ़ाने के लिये नीति निर्माताओं, उद्योग के नेताओं, शोधकर्त्ताओं और भागीदारों को एक साथ लाता है।
- ऐतिहासिक संदर्भ: इसे 3R सिद्धांतों और संसाधन दक्षता को बढ़ावा देने के लिये 2009 में लॉन्च किया गया था।
- हनोई 3R घोषणा (2013-2023) ने संसाधन-कुशल और सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लिये 33 स्वैच्छिक लक्ष्य निर्धारित किये हैं।
- विषय: एशिया-प्रशांत में SDG और कार्बन तटस्थता प्राप्त करने की दिशा में चक्रीय समाजों को साकार करना।
- उद्देश्य: संसाधन-कुशल, कम कार्बन और लचीले एशिया-प्रशांत के लिये स्वैच्छिक, गैर-बाध्यकारी "3R और सर्कुलर अर्थव्यवस्था घोषणा (2025-2034)" पर चर्चा करना और सहमति बनाना।
सर्कुलर अर्थव्यवस्था
- चक्रीय अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है, जहाँ सामग्री कभी भी अपशिष्ट में परिवर्तित नहीं होती और प्राकृतिक संसाधनों का पुनरुद्धार संभव होता है।
- इस प्रणाली में उत्पादों एवं सामग्रियों को रखरखाव, पुनः उपयोग, नवीनीकरण, पुनर्निर्माण, पुनर्चक्रण और खाद निर्माण जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से सतत् परिसंचरण में बनाए रखा जाता है।
- चक्रीय अर्थव्यवस्था का उद्देश्य सीमित संसाधनों के अत्यधिक दोहन से मुक्त आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।
- यह जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता की हानि, अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण जैसी वैश्विक चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटने में सहायक सिद्ध होती है।