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राजस्थान

बाल विवाह मुक्त भारत अभियान

  • 29 Nov 2024
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने बाल विवाह जैसी प्रथाओं की जाँच करके लड़कियों को अपनी क्षमता प्राप्त करने में सहायता करने के लिये “बाल विवाह मुक्त भारत अभियान” या बाल विवाह मुक्त भारत अभियान पोर्टल लॉन्च किया।

  • यह अभियान सात उच्च बोझ वाले राज्यों को लक्षित करता है: पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, राजस्थान, त्रिपुरा, असम और आंध्र प्रदेश।
    • फोकस क्षेत्रों में 300 ज़िले शामिल हैं जहाँ बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
    • इसका उद्देश्य वर्ष 2029 तक बाल विवाह की दर को 5% से कम करना है।

मुख्य बिंदु

  • बाल विवाह मुक्त भारत अभियान:
    • अभियान बिना किसी अपवाद के विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष सुनिश्चित करने के लिये विधायी परिवर्तनों का समर्थन करता है।
    • यह बच्चों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है तथा बाल विवाह को प्रभावी ढंग से रोकने का लक्ष्य रखता है।
  • बाल विवाह निगरानी पोर्टल की भूमिका:
    • इससे बाल विवाह निषेध अधिकारियों (CMPO) की बेहतर निगरानी और मूल्यांकन में सहायता मिलेगी।
    • पीड़ितों और गवाहों द्वारा रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने के लिये उपयोगकर्ता-अनुकूल उपकरण।
    • बेहतर संचार और सहायता के लिये सूचना तक आसान पहुँच।
  • बाल विवाह से निपटने के लिये बहुआयामी दृष्टिकोण:
    • फोकस क्षेत्रों में शामिल हैं:
      • राष्ट्रीय शिक्षा नीति एकीकरण।
      • स्वास्थ्य, वित्तीय सुरक्षा और संरक्षा।
      • सामाजिक जागरूकता अभियान।
  • नागरिक भागीदारी और लिंग-समावेशी पहल:
    • नागरिकों को बाल विवाह रोकने की शपथ लेने तथा मामले की सूचना प्राधिकारियों को देने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
    • सरकार ने नारी अदालतें (महिला न्यायालय) जैसी पहल शुरू की हैं।
      • लिंग संबंधी पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिये लिंग-समावेशी संचार पर एक मार्गदर्शिका।
    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पहल का उद्देश्य बालिकाओं के प्रति सामाजिक धारणा में परिवर्तन लाना है।
  • बाल विवाह में कमी लाने में भारत की वैश्विक मान्यता:
    • भारत को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दक्षिण एशिया में बाल विवाह में सबसे बड़ी गिरावट के लिये भारत के प्रयासों को ज़िम्मेदार माना गया है।
    • वर्ष 2006 में बाल विवाह की दर 47.4% थी और वर्ष 2019-21 में यह घटकर 23.3% हो गई है।
    • सरकारी आँकड़ों के अनुसार, बाल विवाह की दर वर्ष 2006 में 47.4% से घटकर 2019-21 में 23.3% हो गई है।
  • सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका और अनुशंसा:
  • अनुशंसाओं में शामिल हैं:
    • समुदाय-संचालित दृष्टिकोण और निवारक उपाय।
    • कानून प्रवर्तन के लिये बहु-क्षेत्रीय समन्वय और क्षमता निर्माण।
  • वर्ष 2047 तक विकसित भारत का विज़न:
    • यह अभियान वर्ष 2047 तक एक विकसित भारत बनाने के व्यापक लक्ष्य से संबंधित है, जिसमें लड़कियाँ महिला-नेतृत्व वाले विकास के केंद्र में होंगी।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पहल

  • इसे जनवरी 2015 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य लिंग आधारित गर्भपात और घटते बाल लिंग अनुपात को कम करना था, जो वर्ष 2011 में प्रत्येक 1,000 लड़कों पर 918 लड़कियाँ थी।
  • यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है।


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