गांधीनगर अभयारण्य में लाए जाएंगे चीते | 30 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मंदसौर ज़िले के गांधी नगर अभयारण्य में जल्द ही चीते लाए जाने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- मुख्यमंत्री ने विश्व बाघ दिवस के अवसर पर यह घोषणा की।
- 26 जनवरी, 2022 को भारत और दक्षिण अफ्रीका ने चीतों के पुनर्वास की सुविधा के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- यह समझौता ज्ञापन (MoU) भारत में चीता की सुरक्षित संख्या स्थापित करने की भारत की प्राथमिकता सुनिश्चित करता है।
- इस प्रयास से महत्त्वपूर्ण एवं व्यापक संरक्षण की उम्मीद है।
- इसका प्राथमिक लक्ष्य भारत के पर्यावास के भीतर चीता की व्यवहार्य भूमिका को पुनः स्थापित करना और स्थानीय समुदायों की आजीविका तथा आर्थिक स्थिति में सुधार करना।
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य
- अवस्थिति
- वर्ष 1974 में अधिसूचित, यह अभ्यारण्य पश्चिमी मध्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच ज़िलों में विस्तृत है, जो राजस्थान की सीमा से लगता है।
- चंबल नदी, अभयारण्य को लगभग दो समान भागों में विभाजित करती है, जिसमें गांधी सागर बाँध अभयारण्य के भीतर स्थित है।
- पारिस्थितिकी तंत्र
- इसके पारिस्थितिकी तंत्र की विशेषता इसके पर्वतीय क्षेत्रों के साथ-साथ उथली मृदा है, जो सवाना पारिस्थितिकी तंत्र को संदर्भित करती है।
- इसमें शुष्क पर्णपाती वृक्षों एवं झाड़ियों से घिरे खुले घास स्थल शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, अभयारण्य के भीतर नदी घाटियाँ सदानीरा हैं।
- चीतों के लिये आदर्श पर्यावास
- केन्या के सुप्रसिद्ध मसाई मारा राष्ट्रीय अभयारण्य से समानता के कारण, जो अपने सवाना वन एवं वन्यजीवन की विविधता के लिये विख्यात है, यह अभयारण्य चीतों के लिये एक उपयुक्त पर्यावास हैं।