बोकारो वन भूमि घोटाला | 23 Apr 2025

चर्चा में क्यों?

22 अप्रैल, 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बोकारो वन भूमि घोटाले में झारखंड और बिहार में कई स्थानों पर छापेमारी की।

मुख्य बिंदु

  • मामले की प्रकृति:
    • ये छापे बोकारो ज़िले में 74.38 एकड़ वन भूमि के अवैध अधिग्रहण से जुड़े एक बड़े धन शोधन जाँच से जुड़े हैं।
    • आरोप है कि भू-माफिया ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर विवादित भूमि को एक निजी कंपनी को हस्तांतरित कर दिया।
    • ED उमायुष मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े व्यक्तियों की जाँच कर रही है, जिस कंपनी ने भूमि खरीदी थी।
    • यह भूमि अभी भी कानूनी विवाद में है, वन विभाग का दावा है कि यह संरक्षित वन भूमि है, जबकि खरीदारों का तर्क है कि इसे ब्रिटिश शासन के तहत वर्ष 1933 की नीलामी में कानूनी रूप से अधिगृहीत किया गया था।
    • ED ने झारखंड और बिहार में 15 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें मनमोहन कंस्ट्रक्शन, बोकारो वन विभाग, उपायुक्त कार्यालय, बोकारो में क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय शामिल हैं।

बोकारो वन भूमि

  • स्थान और क्षेत्र:
    • बोकारो वन प्रभाग पूरी तरह से पूर्वी झारखंड के बोकारो ज़िले में आता है। इसमें 543.933 वर्ग किलोमीटर वन भूमि शामिल है।
  • ऐतिहासिक संदर्भ:
    • स्वतंत्रता से पहले ये वन रामगढ़ राज्य का हिस्सा थे और बाद में वर्ष 1997 में बोकारो वन प्रभाग बनने से पहले इनका प्रबंधन अन्य प्रभागों द्वारा किया जाता था।
  • भौगोलिक सुविधाएँ:
    • ये वन छोटा नागपुर पठार के भीतर स्थित हैं तथा इनमें विभिन्न प्रकार के वन पारिस्थितिकी तंत्र हैं।
  • महत्त्व:
    • यह प्रभाग बोकारो क्षेत्र में वन संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED)

  • परिचय: 
    • ED एक बहु-विषयक संगठन है, जिसका कार्य धन शोधन और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन के अपराधों की जाँच करना है।
    • भारत सरकार की एक प्रमुख वित्तीय जाँच एजेंसी के रूप में, ED भारत के संविधान और कानूनों का कड़ाई से अनुपालन करते हुए कार्य करती है।
  • संरचना:
    • ED का मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसका नेतृत्व प्रवर्तन निदेशक करते हैं।
      • मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता और दिल्ली में पाँच क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जिनका नेतृत्व विशेष प्रवर्तन निदेशक करते हैं।
  • भर्ती: 
  • कार्यकाल: दो वर्ष, लेकिन निदेशकों का कार्यकाल तीन वार्षिक विस्तार देकर दो से पाँच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।