जैवविविधता अधिनियम 2002 | 04 May 2024
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने धार ज़िले में बाओबाब वृक्षों की अनाधिकृत कटाई के संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जैवविविधता अधिनियम 2002 (Biodiversity Act 2002) के नियमों को लागू करने का आदेश दिया।
प्रमुख बिंदु
- न्यायालय के एमिकस क्यूरी (निष्पक्ष सलाहकार) द्वारा इस बात पर प्रकाश डाला गया कि मध्य प्रदेश में जैवविविधता अधिनियम 2002 का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
- मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा बाओबाब वृक्षों की कथित अवैध कटाई पर मीडिया रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लेने और मामले पर जनहित याचिका (Public Interest Litigation- PIL) के रूप में सुनवाई शुरू करने के बाद राज्य सरकार द्वारा समिति का गठन किया गया था।
- समिति की रिपोर्ट पर गौविचार करने के बाद न्यायालय ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर समिति की सिफारिशों के आधार पर निर्णय लेने को कहा।
जैविक विविधता अधिनियम, 2002
- यह अधिनियम वर्ष 2002 में लागू किया गया था, इसका उद्देश्य जैविक संसाधनों का संरक्षण, इसके सतत् उपयोग का प्रबंधन तथा स्थानीय समुदायों के साथ जैविक संसाधनों के उपयोग और ज्ञान से उत्पन्न लाभों का उचित एवं न्यायसंगत साझाकरण है।
बाओबाब वृक्ष
- वृक्षों के प्रकार: बाओबाब पर्णपाती वृक्ष हैं जिनकी ऊँचाई 5 से 20 मीटर तक होती है।
- पर्णपाती वन मुख्य रूप से चौड़ी पत्तियों वाले वृक्षों से युक्त वनस्पति है जो किसी मौसम में अपनी सारी पत्तियाँ गिरा देते हैं।
- अफ्रीकी बाओबाब (Adansonia digitata) बाओबाब की नौ प्रजातियों में से एक है और मुख्य भूमि अफ्रीका का स्थानिक है। ये अफ्रीकी सवाना में भी पाए जाते हैं।
- अफ्रीकी सवाना पारिस्थितिकी तंत्र एक उष्णकटिबंधीय घासभूमि है, जहाँ वर्ष भर तापमान गर्म रहता है तथा गर्मियों में सबसे अधिक मौसमी वर्षा होती है।
- ट्री ऑफ लाइफ: चूँकि अफ्रीकी बाओबाब एक सक्यूलेंट्स है, जो बरसात के मौसम के दौरान यह अपने विशाल तने में जल को अवशोषित और संग्रहीत करता है, जिससे यह शुष्क मौसम में पोषक तत्त्वों से भरपूर फल देने में सक्षम होता है जबकि चारों ओर सूखा और शुष्क मौसम होता है।