गणतंत्र दिवस: बिहार की झाँकी | 28 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
गणतंत्र दिवस परेड में बिहार की झाँकी में क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया गया, जिसमें प्रतीकात्मक रूप से प्रतिष्ठित बोधि वृक्ष और प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय को दर्शाया गया।
- प्रदर्शन में बिहार की ऐतिहासिक पहचान को 'बुद्ध की भूमि' और प्राचीन ज्ञान के केंद्र के रूप में उजागर किया गया।
मुख्य बिंदु
- बिहार की झाँकी:
- बिहार की झाँकी ने आठ वर्ष के अंतराल के बाद कर्त्तव्य पथ पर 76वें गणतंत्र दिवस परेड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
- झाँकी का केंद्रीय विषय 'स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' था और इसमें प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को प्रमुखता से दिखाया गया था।
- झाँकी में भगवान बुद्ध की ध्यानमग्न धर्मचक्र मुद्रा में स्थापित प्रतिमा को दर्शाया गया, जो शांति और सद्भाव का प्रतीक है। प्रतिमा का मूल स्थान राजगीर में घोड़ा कटोरा जलाशय है।
- बिहार की झाँकी ने राज्य की ज्ञान और शांति की परंपरा को उजागर किया तथा ज्ञान, मोक्ष और शांति की भूमि के रूप में इसकी ऐतिहासिक पहचान पर ज़ोर दिया गया।
- ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का चित्रण:
- झाँकी में बोधगया के पवित्र बोधि वृक्ष, जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था और सम्राट कुमारगुप्त द्वारा 427 ई. में स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन खंडहरों का चित्रण शामिल था।
- झाँकी ने विश्व के पहले आवासीय विश्वविद्यालय के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय की भूमिका पर ज़ोर दिया, जो ज्ञान का वैश्विक केंद्र था, जो चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत और अन्य स्थानों से विद्वानों को आकर्षित करता था।
- भित्ति चित्र और आधुनिक नवाचार:
- झाँकी के पार्श्व पैनल पर भित्तिचित्रों में चंद्रगुप्त मौर्य के मार्गदर्शक चाणक्य के योगदान को दर्शाया गया है तथा प्राचीन वैदिक सभाओं के दृश्यों को दर्शाया गया है, जिसमें लोकतांत्रिक शासन और न्यायिक प्रणालियों को दर्शाया गया।
- एक अन्य भित्तिचित्र में 'गुरु-शिष्य' परंपरा तथा गणित में आर्यभट्ट के योगदान पर प्रकाश डाला गया।
- एक LED स्क्रीन पर नवनिर्मित नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय परिसर को प्रदर्शित किया गया, जिसे कार्बन-तटस्थ और शुद्ध-शून्य स्थिरता लक्ष्यों के साथ डिज़ाइन किया गया है, जो आधुनिक शैक्षिक प्रगति को दर्शाता है।