बिहार फ्लोर टेस्ट | 14 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) गठबंधन सरकार ने 129 मतों से विश्वास प्रस्ताव जीत लिया।
मुख्य बिंदु:
- बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तीन विधान सभा सदस्य (विधायक) सत्ता पक्ष की बेंच पर बैठे देखे गए।
- राजद नेता ने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले पार्टी विधायकों के सत्ता पक्ष के सदस्यों के बीच बैठने पर आपत्ति जताते हुए व्यवस्था पर प्रश्न उठाया।
- 129 विधायकों द्वारा प्रस्ताव का समर्थन किये जाने के बाद राजद गठबंधन सरकार ने अपनी सरकार के लिये विश्वास प्रस्ताव जीत लिया।
- बिहार विधानसभा ने बिहार विधानसभा अध्यक्ष और राजद नेता अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पारित कर दिया।
- नेता के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 125 सदस्यों के समर्थन से पारित हो गया।
- हालाँकि, उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी, जो सभापति थे, द्वारा व्यवस्था के प्रश्न पर कोई निर्णय नहीं दिया गया।
व्यवस्था का प्रश्न
- जब सदन की कार्यवाही प्रक्रिया के सामान्य नियमों का पालन नहीं करती है तो कोई सदस्य व्यवस्था का प्रश्न उठा सकता है।
- व्यवस्था का प्रश्न सदन के नियमों या संविधान के ऐसे अनुच्छेदों की व्याख्या या प्रवर्तन से संबंधित होना चाहिये जो सदन के कार्य को नियंत्रित करते हैं और एक ऐसा प्रश्न उठाना चाहिये जो अध्यक्ष के संज्ञान में हो।
- इसे आम तौर पर सरकार को नियंत्रित करने के लिये एक विपक्षी सदस्य द्वारा उठाया जाता है। यह एक असाधारण उपकरण है क्योंकि यह सदन की कार्यवाही को निलंबित कर देता है।
- व्यवस्था के प्रश्न पर किसी भी बहस की अनुमति नहीं है।
अविश्वास प्रस्ताव
- यह सरकार के प्रति विश्वास को परखने के लिये लोकसभा (राज्यसभा में नहीं) में प्रस्तुत किया गया एक प्रस्ताव है।
- प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिये 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है।
- यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना होगा।
- अविश्वास प्रस्ताव एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक घटना है जो आमतौर पर तब घटित होती हैं जब यह धारणा बनती है कि सरकार बहुमत का समर्थन खो रही है।
फ्लोर टेस्ट
- यह बहुमत परीक्षण के लिये प्रयोग किया जाने वाला शब्द है। यदि किसी राज्य के मुख्यमंत्री (CM) के खिलाफ संदेह है, तो उन्हें सदन में बहुमत साबित करने के लिये कहा जा सकता है।
- गठबंधन सरकार के मामले में, मुख्यमंत्री को विश्वास मत लाने और बहुमत हासिल करने के लिये कहा जा सकता है।
- स्पष्ट बहुमत के अभाव में, जब एक से अधिक व्यक्ति सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत करते हैं, तो राज्यपाल यह देखने के लिये विशेष सत्र बुला सकते हैं कि सरकार बनाने हेतु किसके पास बहुमत है।
- कुछ विधायक अनुपस्थित हो सकते हैं या वोट न देने का विकल्प चुन सकते हैं। फिर संख्या केवल उन विधायकों के आधार पर मानी जाती है जो वोट देने के लिये मौजूद थे।