उत्तराखंड
गांधी सरोवर पर हिमस्खलन
- 01 Jul 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में केदारनाथ धाम से चार किलोमीटर ऊपर स्थित गांधी सरोवर में भारी हिमस्खलन हुआ।
- हिमस्खलन की यह घटना चोराबाड़ी ग्लेशियर के पास हुई, लेकिन इसमें जान-माल की कोई हानि नहीं हुई।
मुख्य बिंदु:
- यह हिमस्खलन केदारनाथ घाटी के ऊपरी छोर पर स्थित बर्फ से ढकी मेरु-सुमेरु पर्वत शृंखला के नीचे चोराबाड़ी ग्लेशियर में गांधी सरोवर के ऊपरी क्षेत्र में हुआ।
- वर्ष 2022 में सितंबर और अक्तूबर के महीनों में इस क्षेत्र में तीन हिमस्खलन हुए।
- मई और जून 2023 में चोराबाड़ी ग्लेशियर में हिमस्खलन की पाँच ऐसी घटनाएँ दर्ज की गईं।
- इसके बाद भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान और वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों ने क्षेत्र का स्थलीय एवं हवाई सर्वेक्षण कर पूरी स्थिति का जायजा लिया।
- वैज्ञानिकों की टीम ने हिमालयी क्षेत्र में इन घटनाओं को ‘सामान्य’ बताया, लेकिन उन्होंने केदारनाथ धाम क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने पर ज़ोर दिया।
चोराबाड़ी ग्लेशियर
- चोराबाड़ी बामक ग्लेशियर के नाम से भी जाना जाने वाला यह ग्लेशियर उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में स्थित है।
- मंदाकिनी नदी चोराबाड़ी ग्लेशियर से निकलती है।
हिमस्खलन
- हिमस्खलन का आशय पर्वत या ढलान से नीचे अचानक हिम, बर्फ और मलबे के तीव्र प्रवाह से है।
- यह भारी बर्फबारी, तीव्र तापमान परिवर्तन या मानव गतिविधि जैसे विभिन्न कारकों के कारण हो सकता है।
- हिमस्खलन की संभावना वाले कई क्षेत्रों में विशेषज्ञ दल मौजूद होते हैं जो विभिन्न तरीकों जैसे- विस्फोटक, बर्फ अवरोधक और अन्य सुरक्षा उपायों का उपयोग करके हिमस्खलन के जोखिमों की निगरानी एवं नियंत्रण करते हैं।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG)
- वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है।
- जून, 1968 में दिल्ली विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के दो कमरों में एक छोटे केंद्र के रूप में स्थापित इस संस्थान को अप्रैल, 1976 के दौरान देहरादून में स्थानांतरित कर दिया गया था।