उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में क्षुद्रग्रह की खोज
- 04 Feb 2025
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (National Aeronautics and Space Administration- NASA) ने नोएडा के कक्षा 9 के छात्र दक्ष मलिक को एक क्षुद्रग्रह की अनंतिम खोज के लिये मान्यता प्रदान की गई है, जिसे वर्तमान में '2023 OG40' के रूप में लेबल किया गया है।
मुख्य बिंदु
- अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह खोज परियोजना (IADP) में भागीदारी:
- दो स्कूली मित्रों के साथ, छात्र ने IADP में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिसने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय खोज सहयोग (IASC) से परिचित कराया।
- IASC, एक NASA-संबद्ध नागरिक विज्ञान पहल है, जो क्षुद्रग्रह खोज में वैश्विक भागीदारी को सक्षम बनाती है।
- यह विश्वभर के छात्रों और खगोल विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों को आकाशीय डेटा का विश्लेषण करने और वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान करने का अवसर प्रदान करता है।
- एक दुर्लभ उपलब्धि:
- प्रतिवर्ष 6,000 से अधिक प्रतिभागियों के IADP में शामिल होने के बावजूद, केवल कुछ ही नए क्षुद्रग्रहों की पहचान करने में सफल होते हैं।
- इस खोज से पहले, देश के केवल पाँच छात्रों ने कभी नामित क्षुद्रग्रह की खोज की थी।
- क्षुद्रग्रह का नामकरण:
- इस उपलब्धि से खगोलीय पिंड का सत्यापन प्रक्रिया के पश्चात नामकरण करने का विशेषाधिकार भी प्राप्त होता है, जिसमें लगभग चार से पाँच वर्ष का समय लग सकता है।
क्षुद्रग्रह
- क्षुद्रग्रह, जिन्हें लघु ग्रह भी कहा जाता है, लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले हमारे सौरमंडल के निर्माण के प्रारंभिक चरण के अवशेष हैं।
- वे मुख्यतः अनियमित आकार प्रदर्शित करते हैं, हालाँकि कुछ लगभग गोलाकार रूप भी प्रदर्शित करते हैं।
- कई क्षुद्रग्रहों के साथ छोटे चंद्रमा भी होते हैं, यहाँ तक कि कुछ के तो दो चंद्रमा भी होते हैं।
- इसके अतिरिक्त, द्वि-क्षुद्रग्रहों में एक दूसरे की परिक्रमा करने वाले दो समान आकार के चट्टानी पिंड शामिल होते हैं तथा त्रि-क्षुद्रग्रह प्रणालियाँ भी होती हैं।