उत्तराखंड में भूमि पंजीकरण कागज़ रहित होगा | 11 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार पूरे राज्य में भूमि पंजीकरण के लिये कागज़ रहित प्रणाली लागू करने की तैयारी में है।
प्रमुख बिंदु
- स्टाम्प एवं पंजीकरण विभाग ने इस पहल के लिये एक आधारभूत रूपरेखा तैयार की है।
- राज्य के वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने घोषणा की कि "उत्तराखंड ऑनलाइन दस्तावेज़ पंजीकरण नियमावली 2025" को आगामी कैबिनेट बैठक में अनुमोदन के लिये प्रस्तुत किया जाएगा।
- कैबिनेट की सहमति मिलने पर इस प्रणाली को औपचारिक रूप से लागू कर दिया जाएगा।
- भूमि पंजीकरण का डिजिटल रूपांतरण:
- नई प्रणाली का उद्देश्य कागज़ रहित पंजीकरण, आधार प्रमाणीकरण और आभासी पंजीकरण प्रक्रियाओं को शुरू करके पंजीकरण प्रक्रिया को बढ़ाना है।
- संपत्ति लेनदेन में शामिल पक्षों के पास उप-पंजीयक कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से जाने या वीडियो केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) के माध्यम से दस्तावेज़ सत्यापन पूरा करने का विकल्प होगा।
- उप-रजिस्ट्रार डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करके प्रक्रिया को अंतिम रूप देंगे और पक्षों को व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से तुरंत सूचित करेंगे।
- महत्त्व:
- भूमि लेनदेन प्रक्रिया के साथ आधार प्रमाणीकरण को एकीकृत करने से सार्वजनिक सुविधा में सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- इस कदम का उद्देश्य पंजीकरण प्रक्रिया में धोखाधड़ी की गतिविधियों पर अंकुश लगाना है। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है कि भूमि खरीद और बिक्री प्रक्रिया पारदर्शी और कुशल हो।
आधार:
- आधार एक 12 अंकों की व्यक्तिगत पहचान संख्या है जिसे भारत सरकार की ओर से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है। यह संख्या भारत में कहीं भी पहचान और पते के प्रमाण के रूप में काम आती है।
- आधार संख्या प्रत्येक व्यक्ति के लिये अद्वितीय है और जीवन भर मान्य है।
- आधार संख्या निवासियों को बैंकिंग, मोबाइल फोन कनेक्शन और अन्य सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने में मदद करेगी।
- जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक जानकारी के आधार पर व्यक्तियों की पहचान स्थापित करता है।
- यह एक स्वैच्छिक सेवा है, जिसका लाभ प्रत्येक निवासी वर्तमान दस्तावेज़ो के बावजूद उठा सकता है।