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वायु प्रदूषण से मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र पर संकट: IIT कानपुर

  • 15 May 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

बोस इंस्टीट्यूट, कोलकाता और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से लिखे गए अध्ययन के अनुसार वायु प्रदूषण सुंदरबन के लिये एक बहुत बड़ा संकट है।

मुख्य बिंदु:

  • अध्ययन का शीर्षक है “Acidity and oxidative potential of atmospheric aerosols over a remote mangrove ecosystem during the advection of anthropogenic plumes” अर्थात् "मानवजनित पिच्छक (Plumes) के संवहनीय तरंगो के कारण दूरस्थ मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र पर वायुमंडलीय एरोसोल की अम्लता और ऑक्सीकारक संभावना"।
  • अध्ययन में पाया गया कि मुख्य रूप से ब्लैक कार्बन या सोत/कालिख कणों से समृद्ध भारी मात्रा में प्रदूषक, न केवल कोलकाता महानगर बल्कि पूरे भारत में गंगा के मैदानी क्षेत्र से भी आ रहे हैं, जो सुंदरबन की वायु गुणवत्ता को काफी खराब कर रहे हैं, जिससे इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ रहा है।
  • अध्ययन के लेखकों ने सुंदरबन की वायु गुणवत्ता और समग्र पारिस्थितिकी तंत्र में गिरावट को रोकने के लिये 10-सूत्रीय सिफारिशें सुझाई हैं।
  • सिफारिशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना, पवन ऊर्जा का उपयोग, विद्युत परिवहन, सब्सिडी वाली LPG, विनियमित पर्यटन, डीज़ल जनरेटर पर प्रतिबंध, विषाक्त शिपमेंट पर प्रतिबंध, प्रदूषक कारखानों को बंद करना, ईंट भट्टों और भूमि उपयोग का विनियमन तथा तटीय नियमों को मज़बूत करना शामिल है।

सुंदरबन (Sundarban)

  • सुंदरबन विश्व के सबसे बड़े मैंग्रोव वनों का अग्रणी है, जो बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के डेल्टा पर स्थित है
  • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भूमि तथा समुद्र के बीच एक विशिष्ट पर्यावरण होता है।

मैंग्रोव (Mangroves)

  • मैंग्रोव उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों के तटों के साथ अंतर-ज्वारीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले पादप समूह हैं।
  • मैंग्रोव वन कई पारिस्थितिक कार्य में महत्त्वपूर्ण हैं जैसे: काष्ठ वृक्षों के उत्पादन में, फिन-फिश और शेलफिश के लिये पोषण तथा अंडे देने के क्षेत्र के रूप में, पक्षियों एवं अन्य बहुमूल्य जीवों को आवास प्रदान करने में; समुद्र तट की सुरक्षा व तलछट के संचयन में।
  • राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में, पश्चिम बंगाल में कुल मैंग्रोव कवर क्षेत्र का प्रतिशत सबसे अधिक है, इसके बाद गुजरात तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह हैं।
  • भारत राज्य वन रिपोर्ट देश में मैंग्रोव और उनकी स्थितियों के बारे में डेटा देती है।
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