उत्तर प्रदेश
महाकुंभ से सम्बंधित भ्रामक वीडियो पर कार्रवाई
- 19 Feb 2025
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चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश पुलिस ने महाकुंभ 2025 को लेकर सोशल मीडिया पर शेयर किये जा रहे भ्रामक वीडियो को लेकर सख्त कार्रवाई की है।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
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पिछले एक महीने में 53 सोशल मीडिया अकाउंट्स के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
- इन अकाउंट्स् के माध्यम से महाकुंभ से जुड़ी गलत जानकारी और गुमराह करने वाले वीडियो पोस्ट किये गए थे।
- मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस और साइबर एजेंसियाँ इन गलत खबरों पर नज़र रख रही हैं, ताकि ऐसी भ्रामक जानकारी को फैलने से रोका जा सके।
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- लोगों पर प्रभाव:
- इन घटनाओं में झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाने की कोशिश की गई थी। इन गलत सूचनाओं का असर लोगों के मन में भ्रम और डर उत्पन्न करता है।
- साथ ही समाज में तनाव और असुरक्षा का वातावरण उत्पन्न होता है।
सोशल मीडिया और फेक न्यूज़ संबंधी नियम-कानून
- उल्लेखनीय है कि भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पहले से ही सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2008 के दायरे में आते हैं।
- हालांकि भारत में फेक न्यूज़ को रोकने के लिये कोई विशेष कानून नहीं है। परंतु भारत में अनेक संस्थाएँ हैं, जो इस संदर्भ में कार्य करती हैं।
- प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एक ऐसी ही नियामक संस्था है जो समाचार पत्र, समाचार एजेंसी और उनके संपादकों को उस स्थिति में चेतावनी दे सकती है यदि यह पाया जाता है कि उन्होंने पत्रकारिता के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है।
- न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) निजी टेलीविजन समाचार और करेंट अफेयर्स के प्रसारकों का प्रतिनिधित्व करता है एवं उनके विरुद्ध शिकायतों की जाँच करता है।
- ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट काउंसिल (BCCC) टीवी ब्रॉडकास्टरों के खिलाफ आपत्तिजनक टीवी कंटेंट और फर्ज़ी खबरों की शिकायत स्वीकार करती है और उनकी जाँच करती है।