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उत्तर प्रदेश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय मथुरा मस्जिद हटाने की याचिका पर सुनवाई करेगा

  • 10 Apr 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान मंदिर के बगल में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के संबंध में एक याचिका पर सुनवाई के लिये तारीख तय की है।

मुख्य बिंदु:

  • कटरा केशव देव खेवट में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य 17 द्वारा दायर मुकदमों में दावा किया गया है कि मस्जिद कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर बनाई गई थी।
  • विवादित भूमि का इतिहास:
    • ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने भी वर्ष 1618 में उसी परिसर में एक मंदिर बनवाया था और वर्ष 1670 में औरंगज़ेब ने पूर्वकाल के मंदिर की जगह पर मस्जिद बनवाया था।
    • माना जाता है कि मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान मंदिर का निर्माण लगभग 2,000 वर्ष पूर्व, पहली शताब्दी ईस्वी में हुआ था।
    • उस परिसर के पूर्ण स्वामित्व के लिये हिंदू प्रतिनिधियों की मांग के कारण एक सर्वेक्षण का आदेश दिया गया है जहाँ वर्ष 1670 में मुगल सम्राट औरंगज़ेब के आदेश पर केशव देव मंदिर को नष्ट कर दिया गया था।
      • इस क्षेत्र को नज़ूल भूमि माना जाता था- गैर-कृषि राज्य भूमि जिसका स्वामित्व पहले मराठों और फिर अंग्रेज़ों के पास था।
    • यह मंदिर मूल रूप से वर्ष 1618 में जहाँगीर के शासनकाल के दौरान बनाया गया था और इसका संरक्षण औरंगज़ेब के भाई तथा प्रतिद्वंद्वी दारा शिकोह ने किया था।
    • वर्ष 1815 में, बनारस के राजा ने ईस्ट इंडिया कंपनी से 13.77 एकड़ ज़मीन खरीदी।
    • बाद में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई।
      • ट्रस्ट ने वर्ष 1951 में मंदिर पर मालिकाना हक हासिल कर लिया।
      • 13.77 एकड़ ज़मीन इस शर्त के साथ ट्रस्ट के अधीन रखी गई थी कि इसे कभी बेचा या गिरवी नहीं रखा जाएगा।
      • वर्ष 1956 में, मंदिर के मामलों के प्रबंधन के लिये श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ की स्थापना की गई थी।
      • वर्ष 1968 में, श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए, जहाँ मंदिर प्राधिकरण ने समझौते के हिस्से के रूप में ज़मीन का एक हिस्सा ईदगाह को दे दिया।
    • मौजूदा विवाद में मंदिर के याचिकाकर्त्ता शामिल हैं जो ज़मीन के पूरे हिस्से पर कब्ज़ा चाहते हैं।
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