51वें खजुराहो नृत्य समारोह | 27 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
20 से 26 फरवरी 2025 तक मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले के खजुराहो में 51वें खजुराहो नृत्य समारोह का आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु
खजुराहो नृत्य महोत्सव के बारे में:
- आयोजन :
- इस महोत्सव का आयोजन मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग और पर्यटन विभाग द्वारा किया गया।
- स्थान:
- यह उत्सव खजुराहो के ऐतिहासिक मंदिरों के पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है।
- आरंभ:
- खजुराहो नृत्य महोत्सव की शुरुआत वर्ष 1975 में हुई थी और तब से लेकर अब तक इसका आयोजन मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी द्वारा किया जा रहा है।
- उत्सव का उद्देश्य:
- इस महोत्सव के माध्यम से विभिन्न भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूपों जैसे भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, कुचिपुड़ी, मणिपुरी, मोहिनीअट्टम, कथकली, यक्षगान आदि का प्रदर्शन किया जाता है।
- पारंपरिक नृत्य के साथ-साथ नृत्य के नए प्रयोगों और नृत्यकला के समृद्ध रूपों को प्रोत्साहन दिया जाता है।
- इस उत्सव के माध्यम से खजुराहो के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रमोट किया जाता है।
- महोत्सव में विभिन्न कारीगरों और हस्तशिल्प कलाकारों को एक मंच मिलता है, जिससे वे अपनी कला और शिल्प को प्रदर्शित कर सकते हैं।
- उत्सव की प्रमुख गतिविधियाँ:
- शास्त्रीय नृत्य मैराथन (रिले)
- 139 कलाकारों ने 24 घंटे 9 मिनट 26 सेकंड तक शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।
- भव्य शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुतियाँ:
- भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, कुचिपुड़ी, मणिपुरी, मोहिनीअट्टम, कथकली, यक्षगान आदि नृत्य रूप प्रस्तुत किये गए।
- हुनर मेला – हस्तशिल्प एवं कला प्रदर्शनी:
- मध्य प्रदेश के पारंपरिक हस्तशिल्प, चित्रकला, आभूषण और कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई।
- लाइव प्रदर्शनी:
- टेराकोटा कला, बुंदेली चित्रकला, मनकों के आभूषण और अन्य स्थानीय कलाओं की प्रदर्शनी।
- शास्त्रीय नृत्य मैराथन (रिले)
खजुराहो मंदिर
- परिचय: चंदेल राजवंश द्वारा 10वीं और 11वीं शताब्दी में निर्मित ये मंदिर समूह स्थापत्य कला और मूर्ति कला का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
- नागर शैली में बने यहाँ के मंदिरों की संख्या अब केवल 20 ही रह गई है, जिनमें कंदरिया महादेव का मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
- धार्मिक संबंध: यहाँ के मंदिर दो धर्मों- जैन और हिंदू से संबंधित हैं।
- विश्व धरोहर स्थल: इन्हें वर्ष 1986 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया।