38वाँ सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला संपन्न | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय ऊर्जा, आवास और शहरी मामलों के मंत्री ने सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले के 38वें संस्करण के समापन समारोह की अध्यक्षता की।
मुख्य बिंदु
- मेले का वैश्विक प्रभाव:
- केंद्रीय मंत्री ने सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले के अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने कहा कि इस आयोजन ने हरियाणा और भारत को वैश्विक पहचान दिलाई है और सांस्कृतिक पर्यटन में मील का पत्थर स्थापित किया है।
- सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व:
- मेले को ‘कला और शिल्प का महाकुंभ’ बताते हुए उन्होंने कलाकारों और आगंतुकों के बीच सीधे संपर्क को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
- यह मेला भारत की समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देता है तथा दुनिया भर से कारीगरों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
- राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ बनाना:
- उन्होंने राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक अखंडता को बढ़ाने में मेले की भूमिका की सराहना की।
- भागीदारी और पुरस्कार:
- समापन समारोह में विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट कारीगरों को पुरस्कार प्रदान किये गये।
- 38वें आयोजन में भारत और विदेश से 1,600 से अधिक कारीगरों ने भाग लिया तथा लगभग 15 लाख आगंतुक आए।
सूरजकुंड मेला
- सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 7 फरवरी से 23 फरवरी 2025 तक आयोजित हुआ।
- मेले का आयोजन सूरजकुंड मेला प्राधिकरण और हरियाणा पर्यटन द्वारा केंद्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति एवं विदेश मंत्रालय के सहयोग से किया जाता है।
- यह मेला वर्ष 1987 में कुशल कारीगरों के पूल को बढ़ावा देने के लिये शुरू किया गया था, जो कि स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करते थे, लेकिन ये लोग सस्ते मशीन-निर्मित उत्पादों के कारण पीड़ित थे।
- इस मेले को वर्ष 2013 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मेले रूप में अपग्रेड किया गया था।
- सूरजकुंड मेला भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि एवं विविधता को प्रदर्शित करता है, इसके साथ ही यह विश्व का सबसे बड़ा शिल्प मेला है।